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Narasimha Jayanti 2023: नृसिंहजी जयंती पर जयपुर में राजा—महाराजाओं के जमाने की परंपरा होगी साकार, खंभ फाड़कर प्रकटेंगे भगवान

Narasimha Jayanti 2023: भगवान विष्णु के अवतार नृसिंहजी की जयंती 4 मई को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान नृसिंग खंभ फाड़कर प्रकट होंगे। राजधानी में राजा—महाराजाओं के जमाने की परंपरा साकार होगी।

जयपुरMay 03, 2023 / 03:50 pm

Girraj Sharma

Narasimha Jayanti 2023: नृसिंहजी जयंती पर जयपुर में राजा—महाराजाओं के जमाने की परंपरा होगी साकार, खंभ फाड़कर प्रकटेंगे भगवान

Narasimha Jayanti 2023: नृसिंहजी जयंती पर जयपुर में राजा—महाराजाओं के जमाने की परंपरा होगी साकार, खंभ फाड़कर प्रकटेंगे भगवान

Narasimha Jayanti: जयपुर। भगवान विष्णु के अवतार नृसिंहजी की जयंती 4 मई को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान नृसिंग खंभ फाड़कर प्रकट होंगे। राजधानी में राजा—महाराजाओं के जमाने की परंपरा साकार होगी। इसके अगले दिन 5 मई को वराह जयंती मनाई जाएगी।

नृसिंह जयंती पर शहर में पुरानी बस्ती, एमआई रोड, पांचबत्ती स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे। भगवान के अभिषेक किए जाएंगे। वहीं मंदिरों में नृसिंह लीला झांकी साकार होगी। चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से नृसिंह लीला का मंचन किया जाएगा। भगवान नृसिंह प्रकट होकर नगर भ्रमण के रूप में चौड़ा रास्ता में निकलेंगे।

प्रगटेंगे नृसिंह भगवान, होगी आतिशबाजी
श्रीताड़केश्वर नवयुवक मंडल के तत्वावधान में नृसिंह लीला व वराह लीला महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। अध्यक्ष बंटी ने बताया कि 4 मई को शाम 7:30 बजे जब नृसिंह भगवान प्रकट होंगे, तब दिव्य आतिशबाजी, लाइटिंग और प्रसाद वितरण होगा। इसके बाद नगर भ्रमण के लिए नृसिंह अवतार रवाना होंगे। मंदिर से त्रिपोलिया, गोपाल का रास्ता से होते हुए मंदिर पहुंचेंगे। यात्रा मार्ग में विभिन्न व्यापार मंडलों की ओर से भगवान के स्वरूप की आरती और पुष्पवर्षा की जाएगी। नगर भ्रमण के बाद बाबा ताड़केश्वर नाथ के दर्शन कर भक्तों को आशीर्वाद देकर गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा। अगले दिन 5 मई को वराह लीला झांकी के दर्शन होंगे।

233 साल से चली आ रही परंपरा
ताड़केश्वर महादेव मंदिर के शक्ति व्यास ने बताया कि नृसिंह लीला की परंपरा राजा—महाराजाओं के जमाने से साकार हो रही है। 233 साल पहले गोपाल व्यास ने नृसिंह लीला झांकी निकाली थी, तब राजा—महाराजा यह झांकी देखते थे। उसके बाद यह परंपरा शुरू हो गई। अब 31 किलो के मुखौटे को सजाया जाता है, इसमें चांदी—सोने के आभूषणों, मोगरे के फूलों आदि से विशेष शृंगार किया जाता है। शृंगार होने के बाद मुखौटे का वजन करीब 51 किलो हो जाता है। ताड़केश्वर मंदिर के व्यास परिवार के सदस्य ही इस मुखौटे को धारण करते है।

 

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यहां भी होंगे आयोजन
चांदपोल बाजार के जाट के कुएं का रास्ता स्थित नृसिंह मंदिर में महंत श्याम सुंदर शर्मा के सान्निध्य में गुरुवार दोपहर 12 बजे पंचामृत अभिषेक होगा। शाम 7:30 बजे वराह भगवान खंभ फाड़कर प्रकट होंगे। चांदपोल बाजार के नींदड़ राव जी का रास्ता स्थित अग्रवाल पंचायत समिति के नृसिंह मंदिर में 14 मई की शाम 6 बजे से नृसिंह लीला और 15 मई की शाम 6 बजे से वराह लीला होगी।

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