अभी ज्यादातर सरकारी बैंक (पीएसबी) अपने सेविंग्स बैंक और क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को हेल्थ कवर देते हैं। यह कवर ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसी के जरिए दिया जाता है। इसे देने में बैंक एश्योरेंस पार्टनरों की मदद ली जाती है। बीमा नियामक इरडा के मौजूदा नियमों के अनुसार, हर एक प्रकार के इंश्योरेंस के लिए बैंक के पास केवल एक बैंक एश्योरेंस पार्टनर हो सकता है। फिर चाहे वह लाइफ और हेल्थ हो या मोटर कवर। इस तरह बैंकों का विलय होने पर उनके मौजूदा बैंक एश्योरेंस पार्टनर कम हो जाएंगे। चूंकि इरडा ग्रुप हेल्थ प्लानों की पोर्टेबिलिटी की अनुमति नहीं देता है। इसलिए जिन बैंकों का विलय होगा, उनके ग्राहकों को इंडिविजुअल मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदनी पड़ेगी।
आने वाले समय में जिन अन्य बैंकों का विलय होना है, उनके शीर्ष अधिकारी भी चिंता में हैं। एक बैंक के सीईओ ने कहा है कि हमारे स्टाफ को ग्राहकों का गुस्सा झेलना पड़ेगा। ये ग्राहक हमसे दशकों से जुड़े थे।
विजया बैंक का 1 अप्रेल, 2019 को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो गया है। बीओबी का बैंक एश्योरेंस पार्टनर मैक्स बूपा है। जबकि विजया बैंक का यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, इस तरह विजया बैंक के सभी ग्राहकों को मैक्स बूपा के नए कस्टमर के तौर पर शिफ्ट करना होगा। बीओबी के एक प्रवक्ता ने बताया कि ग्रुप हेल्थ पोर्टेबिलिटी की इरडा इजाजत नहीं देता है। इसलिए चाहते हुए भी विजया बैंक के ग्राहकों को मैक्स बूपा के मेडिक्लेम प्रोग्राम का पिछली तारीख से हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है।
इसकी सबसे पहली मार विजया बैंक के 64,500 क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को पड़ेगी। एक जनवरी, 2020 से वे हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत कवर्ड नहीं रह जाएंगे। जबकि पिछले दो दशकों से उन्हें यह कवर मिला हुआ था। अगर इन पॉलिसियों को सालाना रिन्यूअल के साथ इंडिविजुअल पॉलिसियों में बदला जाता है तो प्रीमियम में भारी उछाल होगा। लोगों को 7,500-12,000 रुपए के प्रीमियम में जो ग्रुप पॉलिसी सालों से मिल रही थी, वही अब 22,000-75,000 रुपए में मिलेगी।