Rajasthan News: राजस्थान के 38 नवगठित निकायों की बदलेगी सूरत, पहली बार होगा ऐसा काम
अब सभी मास्टर प्लान में जिओग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग अनिवार्य, 12 शहरों में काम शुरू, 38 में मसौदा कर रहे तैयार, 15 का होगा अपग्रेड, एकरूपता लाने के लिए केन्द्र सरकार कर रही फंडिंग
Master Plan in Rajasthan: राजस्थान के शहरों के बनने वाले मास्टर प्लान अब पब्लिक फ्रेंडली होंगे। यानि, आमजन ऑनलाइन देख पाएगा कि किस एरिया में किस तरह का डवलपमेंट प्लान प्रस्तावित है। नई सड़कें, प्रोजेक्ट, पेयजल- बिजली लाइन व अन्य जानकारी मिल सकेगी।
इसी आधार पर आमजन, बिल्डर, डवलपर या अन्य निवेशक अपना प्लान बना सकेंगे। प्रॉपर्टी सर्वे आसानी से होगा। दूसरे विभागों का अपने-अपने प्रोजेेक्ट्स के लिए आसानी से कॉर्डिनेशन होगा। इसके लिए अब सभी मास्टर प्लान में जिओग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग अनिवार्य कर दिया है।
नगर नियोजन विभाग के जरिए ऐसे 12 शहरों के मास्टर प्लान बनाने का काम शुरू कर रहे हैं, जबकि 38 नवगठित निकायों (छोटे शहर) के लिए भी मसौदा तैयार किया जा रहा है। खास यह है कि केंद्र सरकार ने मास्टर प्लान में एकरूपता लाने के लिए मापदण्ड तय किए हैं और इसके लिए फंडिंग भी की जा रही है। राज्य सरकार ने चिन्हित निकायों को इससे जोड़ा है।
इन 12 की निकायों का काम होगा शुरू
डीडवाना, अनूपगढ़, पीलीबंगा, तिजारा, शाहपुरा, बाड़ी, डीग, फलौदी, आबू रोड, अंता, प्रतापगढ़ शामिल हैं। इनके अलावा 38 नवगठित शहरों के लिए भी मसौदा तैयार किया जा रहा है। जयपुर के लिए निविदा जारी की जा चुकी है। इन सभी के मास्टर प्लान की मियाद इस साल पूरी हो रही है।
ये हैं 38 नव गठित निकाय, जिनका पहली बार बनेगा प्लान
केन्द्र सरकार फंडिंग कर रही है, इसलिए नगर नियोजन विभाग ने ऐसे 15 निकायों की भी सूची बनाई है, जिन्हें अपग्रेड किया जाएगा। इनमें केकड़ी, निवाई, गुलाबपुरा, मकराना, नसीराबाद, कुचामनसिटी, लाडनूं, देवली, बांदीकुई, चाकसू, लालसोट, दौसा, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, बयाना शहर शामिल हैं।
मास्टर प्लान इसलिए जरूरी…
* मास्टर प्लान शहर के विकास का पॉलिसी दस्तावेज है। इसमें पूरे शहर का विकास का वृहद प्लान शामिल है। मसलन, शहर के किस इलाके में भूउपयोग आवासीय, संस्थानिक, कॉमर्शियल होगा।
* रोड नेटवर्क से लेकर परिवहन, मनोरंजन, आवास से जुड़ा खाका खींचा जाता है। इसमें इलाकेवार विकास का प्लान है।
* जन सुविधा के लिए जगह आरक्षित की जाती है। इकोलोजिकल, हरियाली और पहाड़ी क्षेत्र के संरक्षण के लिए।
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नगर नियोजकों की फौज, फिर भी ठेके पर क्यों?
नगर नियोजन विभाग और टाउन प्लानिंग शाखा में नगर नियोजकों की फौज होने के बावजूद इस काम को आउटसोर्स किया जा रहा है। इससे मास्टर प्लान (लागू होने से पहले) की गोपनीयता खत्म होने की भी आशंका बनी रहेगी। सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए कंपनी के लिए क्या-क्या राइडर लगाए हैं, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है।