गुजरात के सहयोग से बने माही बांध से जिला जल संसाधन की दृष्टि से समृद्ध हुआ है। 77 टीएमसी की जल संग्रहण क्षमता के माही बांध में हालांकि 40 टीएमसी पानी पर गुजरात का हक है। इसके बाद भी बांध के हजारों किलोमीटर क्षेत्र में फैले नहरी तंत्र से बांसवाड़ा जिले में ही 80 हजार हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं के मिलने से किसानों का आर्थिक स्तर उन्नत हुआ।
इसके अतिरिक्त जिले में जल आधारित बिजलीघर बने, जिनसे उत्पादित बिजली से राजस्थान रोशन हो रहा है। इसी जल उपलब्ध उपलब्धता के कारण जिले को परमाणु बिजलीघर की सौगात मिली है।
जल संग्रहण क्षमता में बढ़ोतरी
माही बांध के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को एनिकट व लघु बांध बनाकर रोकने से जिले में जल संग्रहण क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है। सुरवानिया, फूटन, भगोरा, हारो, मकनपुरा, देलवाड़ा आदि लघु बांधों से भी सैकड़ों गांवों में ग्रामीण सिंचाई सहित पेयजल आदि की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिक्त माही परियोजना से जुड़ी खमेरा केनाल, भूंगड़ा नहर, हरिदेव जोशी केनाल, अनास नदी पर बने कई एनिकट और लिफ्ट परियोजनाएं भी जिले को सरसब्ज बना रहे हैं।
बजट में मिली सौगात
माही नहर के नहरी तंत्र सहित जल संसाधन विभाग को राज्य सरकार से अरबों की सौगात मिली है। वर्तमान सरकार ने ही लगभग 13 अरब रुपए स्वीकृत किए हैं, जिससे पांच दशक पहले बनी नहरों का सुदृढ़ीकरण का कार्य वर्तमान में हो रहा है। इसके अतिरिक्त अपर हाईलेवल केनाल, पीपलखूंट हाईलेवल केनाल और विभिन्न एनिकट के निर्माण के लिए भी धनवर्षा की गई है।
समृद्धि का पैगाम
माही बांध और नदियों पर बने एनिकटों की बदौलत जिले की तस्वीर और तकदीर बदली है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राज्य सरकार ने भी मुक्त हस्त से बजट में राशि दी है। जल संसाधन की दृष्टि से बांसवाड़ा में समृद्धि का पैगाम गूंज रहा है। महेंद्रजीतसिंह मालवीया,जल संसाधन मंत्री