प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के लेटरहैड पर चुनाव मैदान में हटे नेताओं को ये नियुक्तियां दी गई हैं जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी है। चर्चा इस बात है कि जयपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रताप सिंह खाचरियावास भी इसी तरह के नियुक्तियों के लिए जाने जाते थे। इधर, अकेले जयपुर जिले में करीब एक दर्जन बागी और असंतुष्ट नेताओं को संगठनात्मक नियुक्तियों में एडजस्ट किया गया है। वहीं, जिन बागियों का संगठनात्मक नियुक्तियों में दिलचस्पी नहीं हैं उन्हें सरकार बनने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने का वादा किया गया है। पार्टी नेताओं की माने तो प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियां एआईसीसी के संगठन महामंत्री ही करते हैं। ऐसे में इन नियुक्तियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बागी नहीं बने नेताओं की पीड़ा
इधर, बागियों को प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियां दिए जाने से उन नेताओं की पीड़ा बाहर आने लगी जिन्होंने टिकट नहीं मिलने के बावजूद भी पार्टी के साथ रहे और बगावत नहीं की। इन नेताओं का कहना है कि अगर हम भी बगावत कर लेते तो शायद उन्हें भी प्रदेश कांग्रेस में नियुक्ति मिल जाती।
इन बागी और असंतुष्ट नेताओं को मिली नियुक्ति
-संदीप चौधरी
शाहपुरा से टिकट मांग रहे संदीप चौधरी को प्रदेश कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया है। टिकट नहीं मिलने पर उनकी नाराजगी बाहर आई थी।
संगीता गर्ग-
मालवीय नगर से टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर अंदरखाने नाराजगी थी अब उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया गया है।
-दीपक डंडोरिया
बगरू से टिकट मांग रहे थे, टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। अब इन्हें भी प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री मनाया गया है।
गिरीश पारीक
हवामहल से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा। मुख्यमंत्री गहलोत की समझाइश पर चुनाव मैदान से हटे थे। अब पारीक को भी प्रदेश कांग्रेस का महामंत्री नियुक्त किया गया है।
राकेश मीणा
आमेर से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा, पार्टी नेताओं के समझाने पर चुनाव मैदान से हटे। अब प्रदेश कांग्रेस का सचिव बनाया गया।
राजीव त्रेहन
लंबे समय से कांग्रेस में सक्रिय, उपेक्षा को लेकर लंबे समय से नाराजगी थी। अब सचिव नियुक्त किया गया।
मिनाक्षी सेठी जैदी
आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता थीं, आदर्श नगर से आप की टिकट पर चुनाव लड़ने की तैय़ारी चल रही थी। क्षेत्रीय विधायक रफीक खान ने पारिवारिक रिश्तों का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ने के लिए समझाया। कांग्रेस में सदस्य भी नहीं फिर प्रदेश कांग्रेस की सचिव नियुक्त की गईं।