प्रदेश में इस बार 3 करोड़ 28 लाख से अधिक लोगों ने मतदान किया, जिनमें से 1 करोड़ 33 लाख से अधिक ही मतदाता पहचान पत्र के साथ मतदान करने पहुंचे। पिछले लोकसभा चुनाव के समय 3 करोड़ 22 लाख से अधिक मतदाताओं में से करीब 1.63 करोड़ मतदाता परिचय पत्र लेकर पहुंचे। शेष मतदाताओं ने आधार कार्ड या दूसरे परिचय पत्र दिखाकर मतदान किया।
इस बार कई जिलों में 60 से 70 फीसदी मतदाताओं ने मतदान के समय मतदाता पहचान पत्र दिखाया, लेकिन करौली जैसे कई जिलों में करीब 30 फीसदी लोग ही मतदाता पहचान पत्र लेकर बूथ पर पहुंचे। इस कारण पूरे प्रदेश में मतदाता पहचान पत्र दिखाकर मतदान करने वालों का औसत कम रह गया। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा लोगों ने मतदान के समय आधार कार्ड दिखाया। इसका कारण खोजने पर सामने आया कि मतदाता पहचान पत्र की लोगों को चुनाव के समय ही याद आती है, ऐसे में उसे खोजना पड़ता है और आधार कार्ड या दूसरे दस्तावेज आए दिन काम आते हैं।
इस बारे में मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कहा कि फर्जी मतदान रोकने के लिए पहचान पत्र आवश्यक किया, लेकिन मतदाता पहचान पत्र गुम होने के कारण कोई मतदान से वंचित न रहे इस कारण 12 दस्तावेज मान्य किए हैं। हालांकि दूसरे दस्तावेज के फर्जी बनने की शिकायत आती हैं, लेकिन मतदाता पहचान पत्र को लेकर ऐसी कोई शिकायत नहीं है। अब मतदाता पहचान पत्र देखने में भी अच्छा लगता है और इसके लिए मतदाताओं से कोई शुल्क भी नहीं लिया जा रहा है।
बाड़मेर, सिरोही, फलौदी में बिना पहचान पत्र ही पहुंचे लोग
बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर ग्रामीण और फलौदी सहित कई जगह मतदान के लिए लोग बिना पहचान पत्र ही पहुंच गए। मामला निर्वाचन विभाग पहुंचने पर इन मतदाताओं को बिना पहचान पत्र मतदान की अनुमति देने से तो मना कर दिया गया, लेकिन काफी दूर से आए इन मतदाताओं की सहुलियत के लिए सरकारी वाहन भेजकर उनके पहचान पत्र मंगवाए गए।