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जयपुर

अध्यक्ष पति-पत्नी बने बंटी और बबली, पटवारी के हस्ताक्षर कर परिवार को दिलाए लोन

नागौर की दो ग्राम सेवा सहकारी समिति (जीएसएस) में सामने आया कर्जमाफी घोटाला। एक में पति तो दूसरे में पत्नी थी अध्यक्ष। दोनों ने खुद व बेटे-बहुओं के नाम लोन लिए। पहले भाजपा राज में और फिर कांग्रेस राज में हुई कर्जमाफी में इनके लोन भी माफ हो गए। सहकारी विभाग की जांच में पकड़ी गई गड़बड़ी। अब एसीबी ने दर्ज की एफआईआर।

जयपुरAug 21, 2023 / 09:50 pm

Om Prakash Sharma

अध्यक्ष पति-पत्नी बने बंटी और बबली, पटवारी के हस्ताक्षर कर परिवार को दिलाए लोन

अध्यक्ष पति-पत्नी बने बंटी और बबली, पटवारी के हस्ताक्षर कर परिवार को दिलाए लोन

जयपुर. भाजपा और कांग्रेस राज में हुए कर्जमाफी के घोटाले अभी भी सामने आ रहे हैं। ताजा मामला नागौर के सूदवाड़ और नींबोला में सामने आया है। ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) में पति तो दूसरी में पत्नी अध्यक्ष थी। उन्होंने खुद और बेटे-बहुओं के साथ अपने जानकारों के नाम ऋण वितरित कर दिए। इसके लिए पटवारी की फर्जी हस्ताक्षर कर राजस्व रिकॉर्ड और साख सीमा की रिपोर्ट बनाई। ऋण लेने के बाद पहले वर्ष 2018 में भाजपा राज में और फिर वर्ष 2019-20 में हुई कर्जमाफी में लोन भी चुकता हो गया। इस जालसाजी में सोसायटी व्यवस्थापक भी लिप्त था। मामले में एसीबी ने एफआईआर दर्ज कर ली, जिसमें अध्यक्ष दम्पति के परिवार को नामजद किया गया है। फर्जीवाड़ी की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई, जब कर्जमाफी की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूदवाड़ा जीएसएस अध्यक्ष रामचंद्र था तथा निंबोला जीएसएस की अध्यक्ष उसकी पत्नी मंजू थी। आरोपियों ने व्यवस्थापक मंशाराम के साथ मिलकर खुद व परिवार के नाम अल्पकालीन फसली ऋण उठाए। भाजपा राज में कर्जमाफी में प्रत्येक सदस्य के पचास हजार रुपए तक माफ हुए। इसके बाद वर्ष 2019 दुबारा एक-एक लाख रुपए के लोन उठाए जो कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी योजना में पूरे ही माफ हो गए।

फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया, पटवारी के जाली हस्ताक्षर भी किए

फसली ऋण जीएसएस के उन्हें सदस्यों को मिलता है, जिनके नाम जमीन होती है। लोन के लिए फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया गया। इसके लिए पटवारी के जाली हस्ताक्षर तक कर दिए। व्यवस्थापक ने इसे मंजूर कर लिया। खुलासे के बाद एसीबी ने प्राथमिक जांच की, जिसमें पुलिस निरीक्षक मीरा बेनीवाल ने आरोपी प्रथम दृष्टया सही माने। एसीबी ने मुख्यालय ने करीब साढ़े आठ लाख रुपए के गबन की नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। मामले में जिस तरह जालसाजी की है, उससे साफ है कि इसमें व्यवस्थापक के अलावा सहकारी बैंक के कर्मचारी भी लिप्त हो सकते हैं। एसीबी अब जाली दस्तावेज के साथ अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत की भी पड़ताल करेगी।
ये हैं आरोपी

:- रामचंद्र पुत्र शिवकरण जाट, तत्कालीन अध्यक्ष जीएसएस सूदवाड़

:- मंजू पत्नी रामचंद्र, तत्कालीन अध्यक्ष जीएसएस नींबोला

:- मूलाराम पुत्र रामचंद्र

:- सुनील पुत्र रामचंद्र

:- गीता पत्नी मूलाराम
:- सुमन पत्नी सुनील

:- मंशाराम व्यवस्थापक जीएसएस नींबोला:- गिरधारी पुत्र गणेश निवासी निम्बोल

:- पूनाराम पुत्र गणेश

:- संतोष पत्नी पूनाराम

:- रामेश्वरी पत्नी गिरधारी

:- सफी मोहम्मद चौहान निवासी पादूखुर्द

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