खीरी में बार बार नहर में मिलते रहे बाघों के शव
2008 में खीरी नहर ब्रांच बांकेगंज में चार वर्ष के बाघ का शव मिला
2012 में परसपुर के पास सुतिया नाले से बाघ का शव पाया गया
014 में फरधान के पास खीरी नहर ब्रांच की तेज धार में बाघ का शव बरामद हुआ
२018 में शारदा सागर डैम में बाघ का शव ग्रामीणों ने निकाला
२019 में फरधान के बिसौली गांव के पास नहर में स्वस्थ बाघ का शव मिला
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एसटी वन की मौत भी कीटनाशक से
आपको बता दें कि राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य में भी एसटी वन की मौत की वजह कीटनाशक ही बना था। वर्ष २०१० में सरिस्का वन अभयारण्य में 14 नवम्बर को एसटी.वन नामक बाघ की मौत हुई थी। उसकी एफएसएल रिपोर्ट में मौत का कारण कीटनाशक पदार्थ का सेवन बताया गया था। तत्कालीन वन राज्यमंत्री रामलाल जाट ने भी इस संबंध में कहा था कि एसटी वन बाघ की एफएसएल रिपोर्ट में बाघ की मौत का कारण कीटनाशक पदार्थ ओरगनो फास्फोरस का सेवन करना पाया गया है। इतना ही नहीं अतिरिक्त मुख्य प्रधान वन संरक्षक एचएम भाटिया ने भी एफएसएल रिपोर्ट में एसटी वन नामक बाघ के मरने का कारण कीटनाशक पदार्थ होने की पुष्टि की थी। सरकार ने इस मामले में सरिस्का में तैनात तीन वरिष्ठ वन अधिकारियों समेत पाँच वनकर्मियों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया था।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में कीटनाशक डालना किसानों के लिए भले ही लाभकारी हो, लेकिन वन्यजीवों के लिए कीटनाशक बेहद खतरनाक है। रोकथाम के लिए जरूरी है कि किसान खेती के तरीके में बदलाव करें और कीटनाशक का प्रयोग न के बराबर करें। ब्यूरो रिपोर्ट पत्रिका टीवी