प्रस्ताव के अनुसार करौली की मासलपुर रेंज, धौलपुर में सरमथुरा के झिरी वन क्षेत्र, भरतपुर के वन क्षेत्र को इसमें शामिल किया जाएगा। एनटीसीए की सहमति के बाद अब राज्य सरकार की ओर से पांचवें टाइगर रिजर्व में कोर व बफर इलाकों के सम्बंध में भी नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। नए टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1058 वर्ग किमी होगा।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व घोषित होने से आने वाले समय में बाघों को बेहतर पर्यावास तो मिलेगा ही, साथ ही पर्यटन में भी इजाफा हो सकेगा।पर्यटन के साथ रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी और रणथम्भौर में बाघों का दबाव कम होगा। हाल कैलादेवी अभयारण्य में पर्यटकों के लिए सफारी भी शुरू की गई है। वहीं कूनो चीता अभयारण्य भी स.माधोपुर से करीब 120 किमी. तथा धौलपुर से करीब 200 किलोमीटर होने से पर्यटक दोनों जगह आ व जा सकेंगे। इससे नया कॉरिडोर विकसित होगा।
इन बाघ-बाघिनों का है मूवमेंट…
वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में करौली के कैलादेवी अभयारण्य में बाघ टी-72, टी-80 (तूफान), बाघ टी-115, बाघिन टी-118, टी-116, बाघिन टी-117, बाघ टी-136, टी-132 का मूवमेंट है। हालांकि बाघिन टी-118 व बाघ टी-132 फिलहाल ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं।
एनटीसीए ने मांगी और सूचनाएं
एनटीसीए की ओर से करौली व धौलपुर के जंगल को मिलाकर बनाए जाने वाले टाइगर रिजर्व के लिए सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है। एनटीसीए की ओर से इस सम्बंध में अतिरिक्त सूचनाएं मांगी गई हैं। सूचनाएं जल्द ही दे दी जाएंगी। इसके बाद ही औपचारिक सहमति मिलेगी। शिखर अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन विभाग, जयपुर