प्रदेश की सबसे हॉट सीट नागौर पर ज्योति मिर्धा के लिए जीत की राह आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने हनुमान बेनीवाल सबसे बड़ी चुनौती हैं। पिछले दो चुनावों में हनुमान बेनीवाल की वजह से ही ज्योति मिर्धा की हार हुई थी।
लोकसभा चुनाव 2014 में जब ज्योति मिर्धा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं। उस वक्त बेनीवाल निर्दलीय चुनाव में उतरे और ज्योति मिर्धा की हार हो गई। भाजपा प्रत्याशी छोटूराम चौधरी चुनाव जीत गए।
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन कर लिया था। ऐसे में दूसरी बार ज्योति मिर्धा को हार का मुंह देखना पड़ा था। 2019 में मिर्धा ने कांग्रेस के टिकट पर हनुमान बेनीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और हार गई थीं। तब हनुमान बेनीवाल ने BJP के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
नागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। नागौर के जातिगत समीकरण पर गौर करें तो नागौर में जाट सर्वाधिक हैं। उसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की तादाद है। इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी के मतदाता भी अच्छी खासी तादाद में हैं।
नागौर लोकसभा सीट पर मिर्धा परिवार का लंबे समय तक वर्चस्व रहा है। नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से ताल्लुक रखता हैं, जिसका जाट समाज में बड़ा दबदबा माना जाता है। नागौर से सर्वाधिक बार सांसद बनने का रिकॉर्ड पूर्व केंद्रीय मंत्री और किसान नेता नाथूराम मिर्धा के नाम है, जिन्होंने नागौर से छह बार जीत दर्ज की थी।