ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। सूर्य के तेज प्रकाश के कारण नदी व तालाब सूख जाते हैं। इसलिए इस महीने में जल का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में भी ज्येष्ठ माह को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस पवित्र महीने में पूजा-पाठ और दान-धर्म करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। इस महीने में निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा जैसे महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इसी मास में गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसके चलते गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने के बाद दान करने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इसी महीने में भगवान राम अपने परम भक्त हनुमान जी से मिले थे। ज्येष्ठ महीने में ही भगवान शनिदेव का जन्म भी हुआ था। ऐसे में ज्येष्ठ माह में सूर्य देव, वरुण देव, शनि देव और हनुमान जी की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
ज्येष्ठ के स्वामी मंगल
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के तीसरे माह यानी ज्येष्ठ माह को शास्त्रों में शुभ माना गया है। ज्येष्ठ के स्वामी मंगल है और मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है। सभी नवग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है। ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का महत्व माना गया है।
जल का दान सबसे श्रेष्ठ
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ज्येष्ठ मास में सबसे ज्याद गर्मी पड़ती है। इस महीने में जल के दान का विशेष महत्व बताया गया है। पशु-पक्षियों के लिए पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। ज्येष्ठ मास में प्याऊ लगाना, नल लगवाना और पोखर, तलाबों का सरंक्षण करना विशेष फलदायी माना गया है।
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ज्येष्ठ माह के व्रत त्योहार
14 मई — हनुमान जयंती (तेलुगु)
15 मई — अपरा एकादशी, वृषभ संक्रांति
19 मई — ज्येष्ठ अमावस्या, वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या, शनि जयंती
29 मई — महेश नवमी
30 मई — गंगा दशहरा
31 मई — निर्जला एकादशी, गायत्री जयंती, राम लक्ष्मण द्वादशी
3 जून — वट पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत