रणथम्भौर दुर्ग …इतिहास का पहला जौहर
इतिहासकारों की माने तो रणथम्भौर दुर्ग में 1301 ईस्वी में पहला जल जौहर हुआ था। हम्मीर देव की पत्नी रानी रंगादेवी ने रणथम्भौर दुर्ग स्थित पद्मला तालाब में कूदकर जल जौहर किया था। इतिहासकार इसे राजस्थान पहला एवं एकमात्र जल जौहर भी मानते हैं। रानी रंगा देवी ने ये जौहर खिलजी द्वारा रणथम्भौर दुर्ग पर किए आक्रमण के दौरान किया था। अभेद्य दुर्ग रणथम्भौर को आधीन करने में अलाउद्दीन खिलजी को ११ माह का वक्त लगा था। 12,000 वीरांगनाओं ने दुर्ग में ही जौहर किया था
इतिहासकारों की माने तो रणथम्भौर दुर्ग में 1301 ईस्वी में पहला जल जौहर हुआ था। हम्मीर देव की पत्नी रानी रंगादेवी ने रणथम्भौर दुर्ग स्थित पद्मला तालाब में कूदकर जल जौहर किया था। इतिहासकार इसे राजस्थान पहला एवं एकमात्र जल जौहर भी मानते हैं। रानी रंगा देवी ने ये जौहर खिलजी द्वारा रणथम्भौर दुर्ग पर किए आक्रमण के दौरान किया था। अभेद्य दुर्ग रणथम्भौर को आधीन करने में अलाउद्दीन खिलजी को ११ माह का वक्त लगा था। 12,000 वीरांगनाओं ने दुर्ग में ही जौहर किया था
जैसलमेर…सतियों के हाथ के चिन्ह
जैसलमेर जिले के इतिहास के पन्नों के अनुसार रावल जैसल के वंशजों ने लगातार 770 वर्ष शासन किया। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय भाटी शासक रावल मूलराज, कुंवर रतनसी सहित बड़ी संख्या में योद्धाओं ने असिधारा तीर्थ में स्नान किया और महिलाओं ने जौहर का अनुष्ठान किया। दूसरा जौहर फिरोज शाह तुगलक के शासन में घटित होना बताया जाता है। इस दौरान दुर्ग में वीरांगनाओं ने जौहर किया। 1550 ईस्वी में कंधार के शासक अमीर अली का आक्रमण हुआ था। वीरों ने युद्ध तो किया लेकिन जौहर नहीं हुआ।
जैसलमेर जिले के इतिहास के पन्नों के अनुसार रावल जैसल के वंशजों ने लगातार 770 वर्ष शासन किया। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय भाटी शासक रावल मूलराज, कुंवर रतनसी सहित बड़ी संख्या में योद्धाओं ने असिधारा तीर्थ में स्नान किया और महिलाओं ने जौहर का अनुष्ठान किया। दूसरा जौहर फिरोज शाह तुगलक के शासन में घटित होना बताया जाता है। इस दौरान दुर्ग में वीरांगनाओं ने जौहर किया। 1550 ईस्वी में कंधार के शासक अमीर अली का आक्रमण हुआ था। वीरों ने युद्ध तो किया लेकिन जौहर नहीं हुआ।
चित्तौड़…16,000 ने किया अग्नि स्नान
चित्तौड़ में 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया। तब राणा रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी ने चतुराई से शत्रु का सामना किया। अपनी मर्यादा व राजपूती स्वाभिमान की खातिर पद्मिनी ने विजय स्तम्भ के समीप 16 हजार रानियों, दासियों व बच्चों के साथ जौहर की अग्नि में स्नान किया था। उसके बाद 1305 में खिलजी ने जालोर पर हमला किया। कान्हड़ देव और वीरमदेव की वीरगति के बाद जालोर दुर्ग में 1584 महिलाओं ने जौहर किया।
चित्तौड़ में 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया। तब राणा रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी ने चतुराई से शत्रु का सामना किया। अपनी मर्यादा व राजपूती स्वाभिमान की खातिर पद्मिनी ने विजय स्तम्भ के समीप 16 हजार रानियों, दासियों व बच्चों के साथ जौहर की अग्नि में स्नान किया था। उसके बाद 1305 में खिलजी ने जालोर पर हमला किया। कान्हड़ देव और वीरमदेव की वीरगति के बाद जालोर दुर्ग में 1584 महिलाओं ने जौहर किया।
बाड़मेर…सिवाना गढ़ पर अकबर का हमला
बाड़मेर जिले के सिवाना गढ़ (दुर्ग) पर भी 1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया था। आक्रमण के यह दौर कई बार चले। अकबर के काल में इस दुर्ग में राव कल्ला की महारानी और उनकी बहन के जौहर के प्रमाण हैं। ईस्वी सन 1100 के आसपास परमार शासकों ने किले की नींव रखी थी। खिलजी के बाद ईस्वी सन 1600 के आसपास अकबर की सेना ने सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया। उसने दुर्ग का कई बार घेराव किया। वीरता से लड़ते हुए शासक राव कल्ला राठौड़ शहीद हुए। इस पर रानियों ने किले में जौहर किया।
बाड़मेर जिले के सिवाना गढ़ (दुर्ग) पर भी 1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया था। आक्रमण के यह दौर कई बार चले। अकबर के काल में इस दुर्ग में राव कल्ला की महारानी और उनकी बहन के जौहर के प्रमाण हैं। ईस्वी सन 1100 के आसपास परमार शासकों ने किले की नींव रखी थी। खिलजी के बाद ईस्वी सन 1600 के आसपास अकबर की सेना ने सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया। उसने दुर्ग का कई बार घेराव किया। वीरता से लड़ते हुए शासक राव कल्ला राठौड़ शहीद हुए। इस पर रानियों ने किले में जौहर किया।