सूर्यकांता व्यास ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया था। उन्होंने 1990 में जोधपुर (पुराना शहर) निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा था और अपने पहले ही चुनाव में बड़ी जीत हासिल की। इसके बाद 1993 और 2003 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने विजय प्राप्त की। 2008 में उन्होंने सूरसागर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर सफलता प्राप्त की। उनके कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए, जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं।
सूर्यकांता व्यास का राजनीतिक सफर पार्षद के रूप में शुरू हुआ। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नगर निगम में पार्षद के रूप में की और इसके बाद धीरे-धीरे विधानसभा क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। उनके कार्यकाल के दौरान जोधपुर में कई विकास परियोजनाएं शुरू की गईं, जिसमें वसुंधरा राजे और भैरोंसिंह शेखावत की सरकारों के दौरान महत्वपूर्ण काम शामिल हैं। उनके कार्यों की सराहना की गई और उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा गया।
राजस्थान विधानसभा की सबसे उम्रदराज विधायक रही सूर्यकांता व्यास ने 6 बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। उनका जीवन राजनीति में समर्पण और सेवा का प्रतीक रहा। हाल ही में 2024 के चुनाव के लिए उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। जिसके बाद अशोक गहलोत उनसे मिलने भी पहुंचे थे। उस समय उनकी चर्चा ने यह स्पष्ट किया कि वे पार्टी के भीतर कितनी महत्वपूर्ण थीं।
सूर्यकांता व्यास के निधन के बाद भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों के जनप्रतिनिधियों की ओर से संवेदना जताई जा रही है। इसके अलावा कई संगठन व लोग भी संवेदना व्यक्त कर रहे है।