इधर, कांग्रेस के पार्षद मनोज मुद्गल, दशरथ सिंह शेखावत और उत्तम शर्मा ने नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात की। मुद्गल ने कहा कि मंत्री ने निष्पक्ष निर्णय लिया है। महापौर के निलंबन से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। हम विकास के साथ हैं।
विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण
महापौर बनाने में विधायक गोपाल शर्मा और बालमुकुंदाचार्य के अलावा रवि नैय्यर और चंद्रमनोहर बटवाड़ा की भूमिका रहेगी। माना जा रहा है कि किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से कार्यवाहक महापौर बनाया जा सकता है क्योंकि इस सीट को भाजपा लगातार दो चुनाव से हार रही है। जबकि, कभी यह सीट भाजपा का गढ़ हुआ करती थी। पार्टी को लगता है कि यहां से महापौर बनाया तो कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ेगा, जिसका फायदा आगे के चुनावों में पार्टी को होगा। चुनाव हुए तो भाजपा भरेगी दम
-100 पार्षद वाले हैरिटेज नगर निगम में
मुनेश गुर्जर का निलंबन होने के साथ अब बोर्ड में 99 पार्षद रह गए हैं। इसमें कांग्रेस के 46 पार्षद और भाजपा के 42 पार्षद हैं। पिछले चुनाव में नौ निर्दलीय कांग्रेस के साथ और दो भाजपा के साथ रहे थे।
-50 पार्षदों का समर्थन जिसे हासिल होगा, वही महापौर बनेगा। भाजपा को आठ पार्षदों की जरूरत होगी। वहीं कांग्रेस को चार पार्षद चाहिए। लेकिन कांग्रेस के 10 पार्षद पिछले कई दिनों से भाजपा नेताओं के सम्पर्क में हैं। ये सिविल लाइन्स और किशनपोल विस क्षेत्र के पार्षद हैं।
तीन बड़े नाम, इसमें से एक पर लग सकती मोहर
1-
कुसुम यादव मजबूत पक्ष: दूसरी बार पार्षद बनी हैं। मुनेश गुर्जर के सामने महापौर का चुनाव लड़ा था। पहली बार पार्षद बनी थीं और उस समय वे चेयरमैन रहीं। पति अजय यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं।
2-ललिता जायसवाल मजबूत पक्ष: खुद पहली बार पार्षद बनी हैं। पति संजय जायसवाल संगठन में सक्रिय हैं। युवा मोर्चा में कई वर्ष से काम कर रहे हैं। कई जिलों में युवा मोर्चा के प्रभारी रहे हैं।
3-कपिला कुमावत मजबूत पक्ष: पहली बार पार्षद बनी हैं। पति विजयपाल कुमावत पार्टी में लंबे समय से जुड़े हुए हैं। अभी ढूढांड़ परिषद सामाजिक संगठन के अध्यक्ष हैं। विद्यार्थी परिषद में प्रदेश कार्यालय मंत्री रहे हैं। भाजपा में ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे हैं।