ब्रह्मोत्सव की शुरुआत 21 नवंबर को कलश यात्रा के साथ होगी। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ होंगे। दक्षिण भारत के विद्वानों की ओर से नित्य अर्चन, पाठ, हवन सहित विभिन्न उत्सव आदि किए जाएंगे। युवाचार्य राघवेन्द्र ने बताया कि भगवान श्रीनिवास, श्रीदेवी व भूदेवी का ब्रह्मोत्सव मनाया जा रहा है। इसमें भगवान के विभिन्न दिव्य व भव्य उत्सव का आयोजन होगा। सात दिवसीय इस आयोजन में दक्षिण भारतीय संस्कृति साकार होगी। इसमें दक्षिण भारत से विद्वान पधार रहे है, जो वैदिक विधि से पूजा-पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि सम्पन्न कराएंगे।
दक्षिण भारत के आभूषण व माला
युवाचार्य राघवेन्द्र ने बताया कि दक्षिण भारतीय पाक-शास्त्री भगवान को लगने वाले गोष्ठी व अन्य भोग प्रसादी आदि बनायेंगे। दक्षिण भारत से ही भगवान की माला आदि नित्य मंगाए जायेंगे। दक्षिण भारतीय वाद्यम से सम्पूर्ण श्री गलता तीर्थ गुंजायमान रहेगा। भगवान को दक्षिण भारत में विशेष रूप से तैयार किये गये आभूषण, वस्त्र आदि धारण कराये जायेंगे एवं दक्षिण भारतीय पात्रों से भगवान का पूजन, अभिषेक आदि किए जाएंगे।
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पहले दिन ये कार्यक्रम
महोत्सव के पहले दिन भगवान के अभिषेक पूजन के बाद सामूहिक स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, विश्वकसेन निमंत्रण, पुण्याहवाचन, रक्षाबंधन के आयोजन हो रहे है। इस मौके पर अंकुरारोपण व मंडल प्रवेश का आयोजन किया गया।