पूजा करने वाले परिवार शाम से पहले ही जलाशयों और गलता घाट पर जमा होना शुरू हो जाएंगे। व्रती शाम के समय बांस की डलिया में ठेकुआ, गन्ना, मिठाईयां, फल, वस्त्र आदि से सजा कर परिवार के साथ महिलाएं हथवा में फलवा डलिया छठ पूजन जाय…,कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…, मइया ए गंगा मइया, मांगिला हम वरदान… जैसे लोक गीत गाते हुए घाट पर पहुंचना शुरू हो गई है। शाम को लोग परिवार के साथ छठी मैया की पूजा कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर लोग परिवार की सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना करेंगे। इस दौरान आतिशबाजी कर खुशियां मनाई जाएगी। इससे पहले महिलाएं सुबह ठेकुआ बनाने में व्यस्त रही। बिहार समाज संगठन के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि दुर्गा विस्तार कॉलोनी में कृत्रिम जलाशय तैयार करवा कर टैंकरों से पानी भरवाया गया है। पूजा स्थाल इस मौके पर महाकाल की झांकी सजाई जा रही है। शाम को चार भाषा के संगीतकार, गीतकार व भजन मंडली की ओर से पूरी रात भजनों की प्रस्तुति देंगे।
कल व्रती उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ वापस घर को लौटेंगे। इसके बाद व्रती प्रसाद वितरित करने के बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करेंगे। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा।