वहीं, सूरत में बीआरटीएस कॉरिडोर न केवल सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है, बल्कि यहां रोजाना लाखों लोग इसका उपयोग कर रहे हैं, जो इसे एक प्रभावी सार्वजनिक परिवहन विकल्प बनाते हैं।
जयपुर मेट्रो: कछुआ गति से हो रहा विस्तार
जयपुर में सार्वजनिक परिवहन की रीढ़ मानी जाने वाली मेट्रो का विस्तार बेहद धीमी गति से हो रहा है। 2015 में जयपुर मेट्रो का संचालन शुरू हुआ था, जिसमें पहले चरण में 9.63 किमी का नेटवर्क (मानसरोवर से चांदपोल मेट्रो स्टेशन तक) जोड़ा गया। इसके बाद, सितंबर 2020 में 2.4 किमी और विस्तार किया गया, जिससे परकोटे में मेट्रो का संचालन शुरू हुआ। हालांकि, जयपुर के बाद चेन्नई, लखनऊ और हैदराबाद में मेट्रो सेवाएं शुरू हुई और इन शहरों में मेट्रो का दायरा जयपुर से कहीं अधिक बढ़ चुका है।
यह भी जानें
-वर्ष 2009-10 में जयपुर में 400 सिटी बसें आई थीं, जिनमें से 100 बसों को बीआरटीएस कॉरिडोर में चलाने का प्रस्ताव था, लेकिन जेसीटीएसएल ने न तो रूट बनाए और न ही इन बसों का संचालन शुरू किया। -राज्य सड़क सुरक्षा परिषद ने जनवरी 2020 में पहली बार बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का फैसला लिया था। -ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में भी इस कॉरिडोर को हटाने का निर्णय लिया गया था।
-2021 में तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया था कि सड़क दुर्घटनाओं में 70 प्रतिशत मौतें बीआरटीएस कॉरिडोर के कारण हुई हैं।
सूरत: चरणबद्ध तरीके से विस्तार, 450 ई – बसें चल रहीं
सूरत में बीआरटीएस कॉरिडोर का विस्तार चरणबद्ध तरीके से हुआ है। वर्तमान में 108 किमी का यह कॉरिडोर संचालित हो रहा है। इसमें सिटी और बीआरटीएस बसों का संचालन किया जा रहा है। सूरत नगर निगम के उप नगर आयुक्त राजेंद्र पटेल ने बताया कि इस कॉरिडोर में रोजाना 750 ट्रिप होते हैं और बीआरटीएस में 450 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। सूरत नगर निगम ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया है और आने वाले समय में 500 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना बनाई गई है।
यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सूरत में फ्लाईओवर, आरओबी पैदल यात्री सबवे, बस स्टॉप, इंटरचेंज और स्टेशन जैसी सुविधाओं का विकास किया गया है। इससे यात्रियों को आवाजाही में कोई परेशानी नहीं होती।