Jaipur Gas Tanker Blast: जयपुर-अजमेर हाइवे पर भांकरोटा अग्निकांड के एक हफ्ते बाद NHAI का बड़ा एक्शन
कितना दर्द झेला होगा उस सुबह
भांकरोटा थाने से कुछ ही दूरी पर अग्निकांड की भेंट चढ़े वाहन खड़े है। उनकी हालत खुद उस भयावह मंजर की कहानी बयां कर रही है। सड़क पर हादसे के शिकार लोगों के अधजले कपड़े अब भी पड़े हैं। ऐसा ही नजारा वहां खड़े एक जले हुए ट्रक में दिखा। दिनभर वहां से गुजरने वाले इन कपड़ों को देख यहां ठहर जाते हैं। तब एक ही विचार मन में आता है कि कितना दर्द झेला होगा उस सुबह।
दावे बहुत…हालात वही
स्थानीय लोगों का कहना है कि अग्निकांड के बाद प्रशासन ने कई दावे किए थे लेकिन अब भी हालात वैसे ही हैं। जिस रोड कट के कारण आग का गोला फूटा उसे बंद कर चेना चाहिए। उस कट को आगे या पेट्रोल पंप के पास खोल दिया जाए। साथ ही जले हुए वाहन हटा दिए जाए तो तस्वीर काफी हद तक बदल सकती है।
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पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का खतरा
बार-बार हादसे के निशान देखने से व्यक्ति पुरानी यादों में खो जाता है। उसके सामने हादसे की तस्वीर घूमने लगती है। इससे यह तनाव-उदासी से घिर जाता है। उसे अनिंद्रा, बेचैनी होने लगती है। काम में मन नहीं लगना, डर समेत कई दिक्कतें हो जाती है। ये पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्टेस डिसऑर्डर के लक्षण हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति की कॉउंसलिंग करनी पड़ती है। राहत नहीं मिलने पर साइको थेरेपी और दवाइयां दी जाती है।
डॉ. ललित बत्रा, अधीक्षक, मनोचिकित्सा केंद्र
मैं सब कुछ भूलना चाहता हूँ
घटना स्थल के समीप चाय की दुकान लगाने वाले ने बताया कि पहले यहां गिने-चुने लोग ही रुकते थे, लेकिन अजमेर रोड अग्निकांड ने इसे चर्चित बना दिया है। अब लोग पूछते हैं कि उस दिन क्या हुआ था। मैंने लोगों को लपटों से घिरा देखा था। वही सब कुछ बताने का मन नहीं करता। मैं भूलना बाहता हूं लेकिन सब याद आता रहता है। स्कूल की बसें भी यहीं से निकलती हैं। बच्चों पर क्या गुजरती होगी सोचकर रूह कांप उठती है।