गुस्से में चाचा संजय व अशोक ने कहा, कानून नहीं मजाक है। मृतक पुनीत और विवेक के चाचा संजय और अशोक का कहना है कि कानून मजाक हो गया है। दो लोगों की जान लेकर भी लोग आसानी से छूट जाते हैं। जब यह पता चला हमारे भतीजों को मारने वाले को कुछ घंटों बाद ही जमानत हो गई, तो पूरे घर को बड़ा धक्का लगा। ये कैसी कानून व्यवस्था है।
हमारे तो घर के चिराग ही बुझ गए और आरोपी को कोई सजा तक नहीं हुई। अशोक ने कहा कि वाहन चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया जटिल होनी चाहिए। जब उसे (चालक वीरेन्द्र कुमार जैन) कार चलानी आती ही नहीं थी, तो इतनी बड़ी रिस्क क्यों ली। उसकी इस लापरवाही से हमारा घर उजड़ गया। कुछ तो सबक मिलना चाहिए।
बेसुध दोनों बहुएं, संवाददाता से पूछा-आप तो वहां थे, बता दो उनकी सांस चल रही थीं!
बड़ी बहू नीतू और चंचल बेसुध हैं। पत्रिका संवाददाता से पूछा आप तो बता दो उनकी सांस चल रही थीं ना। एक फोटो ही दे दो मुझे। नीतू एक ही बात कह रही थी, उसे सजा मत दो बस मेरे पति को वापस ला दो। इसके बाद दोनों की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
सड़क हादसों में सख्त कानून की जरूरत
अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि तेजी व लापरवाही से वाहन चलाकर किसी की मृत्यु हो जाने पर धारा 304क लगाई जाती है। इस धारा में जमानती अपराध है और अधिकतम दो वर्ष के कारावास व जुर्माने की सजा का प्रावधान है। यदि जानबूझकर या नशे में दुर्घटना की गई हो तो जरूरी धारा 304 गैर इरादतन हत्या की लगाई जा सकती है। जिसमें 10 वर्ष तक के कारावास की सजा का प्रावधान है। दुर्घटना को रोकने के लिए मुख्यत: लाइसेंस जारी करने के नियमों को सख्त किए जाने चाहिए। साथ ही यातायात नियमों को तोडऩे वालों पर सख्त कार्रवाई, जुर्माना और वाहन सीज की अवधि बढ़ाने सहित कई बदलाव किए जाने चाहिए।
एेसा किसी और के साथ न हो
मैं सिर्फ शून्य हूं। इतना ही कहूंगी कि अपराध करने की खुलेआम छूट मिल रही है। मोटर व्हीकल एक्ट में खामियां हैं। इसे दुरुस्त करना जरूरी है। मैं तो बेटों को खो चुकी, लेकिन किसी और के साथ ऐसा न हो जैसा मेरे परिवार के साथ हुआ है।
अनीता, मृतक पुनीत और विवेक की मां