जस्टिस डी. मुरुगेशन की बेंच ने आदेश पारित कर आयोग के उप महानिरीक्षक अन्वेषण को सारे मामले की रिपोर्ट फोन पर लेकर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं। परिवाद में डॉ. नाहटा ने दीक्षा के नाम पर मासूम बच्ची को त्याग देने की घटना को माता पिता के संरक्षण और लाड-प्यार पाने तथा उनके साथ रहने के अधिकारों का हनन होना बताया। साथ ही इसे एक तरह की हिंसा कारित होना बताते हुए दंपती को आयोग द्वारा काउंसलिंग किए जाने की प्रार्थना की थी।
डॉ. नाहटा ने इस सम्बन्ध में गुजरात उच्च न्यायालय को लेटर पेटिशन भी प्रेषित कर बालिका के अधिकारों के संरक्षण की मांग की है। पूर्व में जस्टिस बेला त्रिवेदी ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक फैसले में 2015 में यह व्यवस्था दी थी कि शिशु के अधिकारों की रक्षा राज्य की जिम्मेदारी है तथा न्यायालय भी शिशु के अधिकारों की रक्षा करने के आदेश जारी करने लिए बाध्य है। नाहटा ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के गृह विभाग को पत्र लिख कर कम से कम माता की दीक्षा बेटी के बालिग होने तक रुकवाए जाने की मांग की है।
करोड़ों रुपए की संपत्ति और पुत्री सहित सांसारिक जीवन का त्याग कर मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सुमित राठौड़ और उनकी पत्नी अनामिका शनिवार को सूरत के घोड़दौड़ रोड स्थित वृंदावन गार्डन में आचार्य रामलालजी के सान्निध्य में भगवती दीक्षा ग्रहण करेंगे। आयोजकों ने बताया कि शनिवार सुबह साढ़े सात बजे दीक्षा से पहले दोनों अपने केश एवं सांसारिक नाम का त्याग करेंगे। इसके बाद श्वेत वस्त्र धारण कर आचार्यश्री से आशीर्वाद लेंगे। आचार्य दंपती को संयम मार्ग के नियमों की जानकारी देंगे। इसके बाद दीक्षार्थियों, संघ और मौजूद लोगों से अनुमति लेकर दीक्षा विधि करेंगे।