खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने बताया कि 22 अगस्त को भीलवाड़ा के चांदगढ़ में आयरन ओर के 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य आरंभ करवाया गया, जिसमें अधिकतम 100 मीटर गहराई के 35 बोर होल्स कार्य प्रगतिरत है। ड्रिलिंग के दौरान अभी तक 3 बोरहोल्स में तांबा व आयरन ओर इन्टसेक्ट हुआ है। अभी तक की गई कोर ड्रिलिंग के कोर के अध्ययन से क्षेत्र में खनिज तांबा व आयरन ओर के प्रचुर भण्डार की विपुल संभावनाएं है। शुरूवाती ड्रिलिंग के अनुसार 5-6 मीटर, 20-25 मीटर और 55-60 मीटर गहराई पर ही आयरन ओर के साथ ही तांबे के भण्डार के नमूने मिले हैं।
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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 1.5 किमी से 2 किमी लंबाई व लगभग 250 मीटर से 300 मीटर की चौड़ाई क्षेत्र में कॉपर खनिज की संभावना है, साथ ही क्षेत्र में 500 मीटर से 700 मीटर की गहराई पर छिद्रण कार्य किए जाने से खनिज कॉपर के वृहद भण्डार मिलने की पूर्ण संभावना है। कॉपर हमारे जीवन में प्रयोग होने वाली मुख्य धातु है। विद्युत सुचालक होने के कारण इसका मुख्य उपयोग विद्युत उपकरण एवं विद्युत उद्योग में किया जाता है तथा मिश्रधातु के रूप में इसका उपयोग पीतल, कांसा तथा स्टेनलेस स्टील बनाने में प्रमुखता से किया जाता है।
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निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि देश में सर्वाधिक लगभग 54 प्रतिशत कॉपर के भण्डार राजस्थान में हैं। राजस्थान के बाद झारखण्ड तथा मध्यप्रदेश स्थान आता है। राज्य में कॉपर मुख्यतः झुंझुनू के खेतड़ी में पाया जाता है, इसके अतिरिक्त झुंझुनूं के ही मदान-कुदान-कोलिहान, बनवास अकवाली, सिंघाना-मुरादपुर, देवपुरा- बनेरा बेल्ट भीलवाड़ा, डेरी-बसंतगढ़ सिरोही, खो-दरिबा खेड़ा, मुण्डियावास अलवर एवं अंजनी, बेडावल चाटी-मानपुरा जिला उदयपुर में भी कॉपर के भण्डार पाए गए हैं।