जानकारी के अनुसार कुड़ियों का बास निवासी अक्षित अपने मामा के यहां पलसानियों की ढाणी आया हुआ था। सुबह 7 बजे वह घर के पीछे खेल रहा था। वहां उसकी मां काम कर रही थी। पास में करीब दस इंच का बोरवेल लकड़ी के फंटे से ढका हुआ था और ऊपर पत्थर रखा था। बच्चे ने खेलते—खेलते उसे हटा दिया और नीचे देखने के चक्कर में पैर फिसलने से बोरवेल में गिर गया। कुछ देर बाद मां ने आवाज लगाई तो समीप ही खुले बोरवेल से बच्चे की आवाज आई। बच्चे के बोरवेल में गिरने की सूचना पर घर में कोहराम मच गया। पहले परिजन ने रस्सी डालकर उसे निकालने का प्रयास किया और पुलिस को सूचना दी।
इस दौरान रस्सी टूट गई और बोरवेल में ही फंस गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दूदू स्थित एसडीआरएफ टीम को जानकारी दी। बालक लगभग 80 फुट गहरे बोरवेल में फंसा हुआ था, ऐसे में पुलिस प्रशासन व परिजन बालक से लगातार बातचीत करते रहे। बालक तक ऑक्सीजन पहुंचाई गई। 8:30 बजे पहुंची एसडीआरएफ टीम ने कैमरा बोरवेल में उतारा और टीवी स्क्रीन पर मॉनिटरिंग करते रहे। इसके बाद 11 बजे एनडीआरएफ की टीम पहुंची।
1 एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीम ने सीसीटीवी कैमरे और एलईडी लगाकर नीचे कैमरा भेज कर बच्चे की स्थिति को देखा और बच्चे से बात की।
2टीम ने अंग्रेजी के एम के आकार की पत्ती नीचे पहुंचाई, जिससे बच्चा उस पर खड़ा हो सके। लेकिन यह तकनीक 5 से 6 साल के बच्चे तक के लिए थी। बच्चे का वजन अधिक था, अत: वह पत्ती पर बैठा तो गया लेकिन जैसे ही उसे ऊपर खींचा तो पत्ती मुड़ गई। ऐसे में बच्चा ऊपर नहीं आ पा रहा था।
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3इस दौरान देखा कि पहले से ही एक रस्सा नीचे पड़ा हुआ था और जगह कम थी ऐसे में रस्सा बच्चे के गले में फंस सकता था अत: रस्से को निकालने का प्रयास किया गया। पहले प्रयास में रस्सा बाहर नहीं निकल सका, लेकिन दोबारा प्रयास किया गया और रस्सा बाहर आया। ऐसे में बच्चे के लिए जगह बन गई।
4एनडीआरएफ की टीम ने बच्चे से बात की और एल शेप में डिवाइस डाला फिर छोटी रिंग डाली और उस रिंग से बच्चे के एक हाथ को हैंग कर लिया और उसे मोड़ दिया। फिर इसी तरह से दूसरे हाथ को रिंग डालकर मोड़ दिया क्योंकि बच्चा दोनों हाथ ऊपर नहीं कर पा रहा था। ऐसे में बच्चे को नीचे सपोर्ट देकर उसे पत्ती पर बैठाया गया और 3 लेयर में सपोर्ट देकर बच्चे को 3 घंटे बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया।
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एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर रवि वर्मा व एनडीआरएफ के कमांडेंट योगेश कुमार व अनिल दाधीच ने बताया कि बच्चे के हाथ टच हो रहे थे और उसे दर्द हो रहा था अत: रस्सी की जगह पाइपों का प्रयोग किया गया और 8 पाइप डाले गए जिसके बाद यह रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हुआ।