आरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि अकेले सफर करने वाली युवती और महिलाओं की सूची रेल प्रहरी ऐप के माध्यम से रेलवे आरपीएफ को उपलब्ध करवाता है। उसमें महिला का ट्रेन, कोच, सीट नंबर होता है। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है तो, मेरी सहेली टीम यात्री से संपर्क करती है और उसे किसी भी प्रकार की मदद या समस्या के बारे में पूछती है। हालांकि ज्यादातर महिलाएं शिकायत नहीं करती है, कुछ महिलाएं सीट बदलने की मांग करती हैं, तो कई दूसरे यात्री की शिकायत करती है। जिसका समाधान करवा दिया जाता है।
हेल्पलाइन नंबर पर मांग रही मदद
पड़ताल में सामने आया कि, जो ट्रेनें मेरी सहेली योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है। उनमें सफर करने वाली महिलाएं, युवतियां मदद के लिए रेल मदद और अन्य सोशल साइट्स व 139 नंबर पर कॉल करके शिकायत दर्ज करवा रही है।
RPF अधिकारियों का तर्क
आरपीएफ अधिकारियों का कहना है कि स्टेशन से गुजरने वाली प्रत्येक ट्रेन पर नजर रखी जाती है। महिलाओं का फीडबैक लेते रहते हैं। प्लेटफार्म पर महिला स्टाफ भी तैनात रहता है। कई ट्रेनों में भी स्टाफ रहता है। यदि किसी महिला को कोई दिक्कत हो तो वे मदद मांग सकती है या रेलमदद, हेल्पलाइन के जरिये भी शिकायत पहुंचाती है। 200 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही
रेलवे अधिकारियों के अनुसार मेरी सहेली योजना में उत्तर पश्चिम रेलवे जोन से शुरू होने वाली 16 ट्रेन व क्षेत्राधिकार में गुजरने वाली 37 ट्रेनें इसमें शामिल की गई है। इनमें जयपुर मंडल में 15, अजमेर में 12, जोधपुर व बीकानेर मंडल में 5-5 ट्रेनें कवर हो रही है। चौंकाने वाली बात है कि उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में 500 से ज्यादा ट्रेनें संचालित होती है, लेकिन यह सुविधा नाममात्र ही ट्रेनों में मिल रही है। अकेले जयपुर से रोजाना 200 से ज्यादा ट्रेनें आवाजाही करती है, लेकिन महज ही 15 ही ट्रेनें इसमें शामिल है।