हृदय प्रत्यारोपण और मृतक अंग दान में आई तेजी
एक दशक में फेफड़े के प्रत्यारोपण में भारत ने की प्रगति
हृदय प्रत्यारोपण और मृतक अंग दान में आई तेजी
मुंबई. भारत का थोरैसिक अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है और वर्तमान में यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र में नंबर एक कार्यक्रम है। हृदय प्रत्यारोपण का वैश्विक कवरेज 1.06 पीएमपी (2016-18) है। हर साल दुनिया भर में लगभग 8,000 से 9,000 हृदय प्रत्यारोपण किए जाते हैं, और लगभग 50 फीसदी अमेरिका में किए जाते हैं। फेफड़े के प्रत्यारोपण का भी यही हाल है। वैश्विक स्तर पर 7,000 से अधिक फेफड़े के प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत से अधिक अकेले यूएसए में किए जाते हैं। पिछले एक दशक में हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण में भारत ने प्रगति की है वह देश में मृत अंग दान कार्यक्रम की वृद्धि को दर्शाती है। वर्तमान में, देश में बहुत कम कार्डियक युनिट्स हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण समय और संसाधनों का निवेश किया है।
मरेंगो सिम्स अस्पताल के हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. धीरेन शाह ने बताया, 2016 में, मरेंगो सिम्स अस्पताल, अहमदाबाद को हार्ट ट्रांसप्लांटेशन लाइसेंस मिला और गुजरात का पहला हार्ट ट्रांसप्लांटेशन 19 दिसंबर 2016 को किया गया। सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित प्रत्यारोपण प्रक्रिया के रुप में हृदय प्रत्यारोपण की वजह से राज्य के हर कोने में अंग दान के बारे में जागरूकता तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2017 और 2019 के बीच गुजरात में शव अंग दान में करीबन 20 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। मरेंगो सिम्स अस्पताल अभी भी गुजरात में एकमात्र हृदय प्रत्यारोपण अस्पताल था और कायापलट के बाद संख्या लगातार बढ़ रही थी।
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