बंद पड़ी खानों की संख्या तो 75 बताई जा रही है, लेकिन इनका एरिया काफी अधिक होने की जानकारी मिल रही है। इनमें सें 42 खानें बंद हो चुकी है और 33 के बंद होने की प्रक्रिया चल रही है। इनकी नए सिरे से नीलामी होने पर राजस्थान में सीमेंट और स्टील उद्योग को फायदा होगा। इसके कारण निवेश और रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि जहां दो साल से लगातार माइनिंग हो रही है। उन खनन क्षेत्रों में एक साल की अवधि के लिए खनन जारी रखने की अनुमति होगी। इसके लिए आवश्यक होगा कि आदेश के जारी होने की तारीख से तुरंत पहले दो साल की अवधि में खनन बंद नहीं किया हो उनके लिए सरकार एक साल की रियायती अवधि के लिए खनन अनुमति देगी।
लीज जरूरी सुबोध अग्रवाल ने बताया कि अनुमतिधारकों को एक साल की अवधि में खनन लीज प्राप्त करना जरूरी होगा। नए प्रावधान एटोमिक एवं हाइड्रोकार्बन एनर्जी मिनरल्स पर लागू नहीं होंगे। अग्रवाल ने बताया कि यह आदेश खनिज संपदा के वैज्ञानिक दोहन, सतत विकास, अनावश्यक रुप से बंद पड़ी खानों व खनिज संपदा की नीलामी कर खनन कार्य शुरु कराने, रोजगार व आय के साधन बढाने और राश्ट्रीय हित में खनिज संसाधनों के सस्टेनेबल डवलपमेंट के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।इससे मेजर मिनरल्स की बंद पड़ी खानों की नीलामी की राह प्रशस्त हो सकेगी।