सीकर के खाटू श्याम और मेंहदीपुर बालाजी का ऐसे तैयार होता है भोग सीकर के खाटूश्याम मंदिर की बात करें, तो यहां भक्तों को पारंपरिक चूरमा, पराठे आदि का भोग चढ़ाया जाता है। यह सभी प्रसाद मंदिर के भीतर ही तैयार किए जाते हैं। इसी प्रकार, दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी में भक्तों को पूरी और लड्डू मिलते हैं, जो विशेष रूप से मंदिर के कर्मचारियों द्वारा बनाए जाते हैं। यहां की मान्यता है कि बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के बाद ही भक्त प्रसाद लेकर आते हैं।
सांवलिया के सेठ हों या सालासर वाले बालाजी… चित्तौड़गढ़ जिले का सांवलिया सेठ मंदिर भी खास है, जहां हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है। यहां लड्डू और मिठाइयां चढ़ाने की अनुमति है, जो भक्त बाहर से खरीदकर लाते हैं। चुरू जिले के सालासर मंदिर में भी यही प्रक्रिया है। वहां भी लड्डू और अन्य प्रसाद बाहर से लाया जाता है जो भक्त खुद लाते हैं। मंदिर में प्रभु का भोग बनता है जो समय-समय पर उन्हें लगाया जाता है।
श्रीनाथ जी का भोग ऐसा जो मंदिर में ही होता तैयार…. राजसमंद जिले के श्रीनाथजी मंदिर में मीठी पापड़ी, खीर आदि का भोग चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद मंदिर में तैयार होता है और इसे भक्तों में वितरित किया जाता है। इस प्रकार, राजस्थान के मंदिरों में प्रसाद की व्यवस्था न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि का भी परिचायक है। प्रदेश के किसी भी मंदिर से मिलावट का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। प्रदेश के अन्य बड़े मंदिरों में भी इसी तरह से प्रसाद चढ़ाया जाता है और भोग बनता है।