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Hindi Diwas 2023: दुनिया में हिन्दी के बढ़ते कदम, विदेशों से हिन्दी सीखने आ रहे हमारे देश

Hindi Diwas 2023: परदेश जाकर लोग अपने देश, मातृभाषा और अपनी माटी को अधिक याद करते हैं। मातृभाषा को सुनना पसंद करते हैं, उसका प्रचार करते हैं, यही कारण है कि हिन्दी के कदम ग्लोबल लैंग्वेज की ओर बढ़ते जा रहे हैं।

जयपुरSep 14, 2023 / 11:56 am

Girraj Sharma

Hindi Diwas 2023: दुनिया में हिन्दी के बढ़ते कदम, विदेशों से हिन्दी सीखने आ रहे हमारे देश

Hindi Diwas 2023: दुनिया में हिन्दी के बढ़ते कदम, विदेशों से हिन्दी सीखने आ रहे हमारे देश

जयपुर। परदेश जाकर लोग अपने देश, मातृभाषा और अपनी माटी को अधिक याद करते हैं। मातृभाषा को सुनना पसंद करते हैं, उसका प्रचार करते हैं, यही कारण है कि हिन्दी के कदम ग्लोबल लैंग्वेज की ओर बढ़ते जा रहे हैं। दुनिया में आज 425 मिलियन से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं। खासबात यह है कि युवा पीढ़ी अब हिन्दी को पसंद कर रही है।

हिन्दी विशेषज्ञों की मानें तो हिंदी विश्व स्तर पर मंदारिन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद चौथे स्थान पर सबसे अधिक बोले जानी वाली भाषा है। जनतांत्रिक आधार पर हिंदी विश्व भाषा है, क्योंकि उसके बोलने-समझने वालों की संख्या संसार में तीसरी है। दुनियाभर में हिन्दी भाषा के सोशल मीडिया अकाउंट रैंकिंग के आधार पर टॉप पर है। आज यू—ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और भी अन्य सोशल मीडिया में हिंदी भाषियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाना हिन्दी के लिए शुभ संकेत है। इसके अलावा 40 देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिन्दी पढाई जा रही है।

हिन्दी वेब सीरीज की संख्या बढ़ी
लेखिका और फिल्मकार इरा टाक कहती है कि हिंदी लोगों के मन की भाषा है, मातृ भाषा है और इसको बोलने में संकोच का नहीं बल्कि गर्व का अनुभव होना चाहिए। सोशल मीडिया ने हिंदी को लोकप्रिय बनाया है, हिंदी में कविताएं, कहानियां, रील्स, मीमस आदि काफी बड़ी संख्या में देखे और पसंद किए जाते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म की वजह से हिंदी में बनने वाली फिल्मों और वेब सीरीज की संख्या बढ़ी है। हिंदी भारत में बोली जाने वाली प्रमुख अधिकारिक भाषा है, पूरी दुनिया में 425 मिलियन लोग हिंदी को अपनी पहली भाषा के रूप में बोलते हैं।

दूसरे देश से हिन्दी सीखने आ रहे युवा
लेखिका नीलिमा टिक्कू कहती है कि बाज़ारवाद के युग में वाणिज्य व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पैर पसार रहे हैं और ऐसे में अपने उत्पाद के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हिन्दी की अत्यंत ज़रूरत महसूस हो रही है। यह भी एक प्रमुख कारण है कि हिन्दी अधिकतर देशों में सीखी जा रही है। आज अमेरिका, जर्मनी, रूस, पोलैण्ड, जापान, कनाडा, इंग्लैंड आदि देशों से युवा हमारे देश में हिन्दी सीखने के लिए आ रहे है।

 

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विश्व परिदृश्य पर हिन्दी मजबूत
हिंदी शिक्षिका, कवयित्री, साहित्यकार विजयलक्ष्मी जांगिड़ कहती है कि पिछले कुछ वर्षों में हिंदी ने विश्व परिदृश्य में अपनी पहचान को मजबूत किया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आधिकारिक रूप से न सही, लेकिन व्यावहारिक मान्यताओं में हिंदी शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, अभिव्यक्ति, साहित्य, व्यवसाय और बाजार की भाषा बन कर उभर रही है और लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। विश्व के 132 देशों में बसे भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग हिंदी माध्यम से ही अपना कार्य करते है।

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