हरीश चौधरी ने जहां प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रभान से भी मुलाकात करके लंबी चर्चा की तो वहीं अब ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों के साथ भी आगे की रणनीति तैयार की है।
माना जा रहा है कि अगर सरकार की ओर से इस पर जल्द फैसला नहीं लिया गया तो ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति एक बार फिर बड़ा आंदोलन छेड़ सकती है। ओबीसी आरक्षण आंदोलन को लेकर हरीश चौधरी ने जाट नेता राजाराम मील से भी मुलाकात की।
ट्वीट करके मामले के समाधान की मांग
इससे पहले पूर्व मंत्री और बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी ट्वीट करके ओबीसी आरक्षण मामले के समाधान की मांग की है। चौधरी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस मुद्दे को प्राथमिकता से लेना चाहिए और उसका समाधान करना चाहिए क्योंकि ओबीसी आरक्षण विसंगतियां दूर नहीं होने से हजारों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
इससे पहले भी हरीश चौधरी ने 18 नवंबर को ट्वीट करते हुए लिखा था कि युवाओं के भविष्य के लिए राजनीतिक लड़ाईया मायने नहीं रखती है और साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील की थी।
सोशल मीडिया पर चल रहा है कैंपेन
वहीं ओबीसी आरक्षण विसंगतियां दूर करने मांग को लेकर सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चल रहा है, जिसमें ओबीसी वर्ग से जुड़े युवा लगातार ओबीसी आरक्षण बहाल करो कैंपेन चलाए हुए हैं।
हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई चर्चा नहीं होने से नाराज होकर पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कई अन्य नेताओं पर सवाल खड़े कर दिए थे।
विधायक मुकेश भाकर, रामनिवास गवड़िया, और दिव्या मदेरणा ने भी हरीश चौधरी के सुर में सुर मिलाते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने की चेतावनी तक दे डाली डाली थी।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति को जल्द से जल्द विसंगतियांदूर करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन कई महीने बीतने के बावजूद भी अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है जिसको लेकर एक बार फिर ओबीसी वर्ग से जुड़े नेताओं में इसे लेकर रोष बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में कार्मिक विभाग की ओर से ओबीसी वर्ग के 21 फीसदी आरक्षण कोटे में भूतपूर्व सैनिकों को आरक्षण दे दिया गया था जिससे भर्तियों में ओबीसी वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को भी मौका नहीं मिल पा रहा था।
वीडियो देखेंः- ओबीसी आरक्षण को 52.2 फीसदी करने की उठाई मांग