एसीबी सूत्रों की मानें तो कलक्टर हनुमानमल ने परिवादी से 15 अप्रैल को मुलाकात की। कलक्टर ने परिवादी को रिश्वत की राशि दो किस्तों में देने के लिए कहा और पहली किस्त 7.50 लाख रुपए उसी दिन शाम को घर पर मिठाई के डिब्बे में रखकर मंगवाए थे। परिवादी ने एसीबी अधिकारियों को बताया कि उसके पास आज कलक्टर को देने के लिए 7.50 लाख रुपए नहीं है। रुपयों की व्यवस्था करूंगा।
तो हो सकता है खुलासा
एसीबी ने दूदू कलक्टर का मोबाइल जब्त किया है। अब एसीबी मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाले तो 19 अप्रेल को एसीबी के जाल बिछाने की सूचना किसने लीक की, इसकी जानकारी मिल सकेगी। एसीबी टीम ने कलक्टर का एक मोबाइल और पटवारी के दो मोबाइल, कलक्टर कार्यालय से एक कम्प्यूटर जब्त किया है। मोबाइल में रिश्वत संबंधित चैट होना बताया गया है। वहीं कम्प्यूटर में भू-रूपांतरण से संबंधित कई फाइलें बताई जा रही है। परिवादी के पास नहीं थे रुपए
एसीबी भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ने के लिए कई बार खुद के भंडार गृह में रखे डमी नोटों को काम में लेती है। लेकिन परिवादी के पास रुपयों की व्यवस्था नहीं होने पर डमी नोट काम में नहीं लिए। एसीबी परिवादी को डमी नोट देकर जिला कलक्टर के आवास पर रिश्वत देने के लिए भेज सकती थी। लेकिन परिवादी को चार-पांच दिन में रुपयों की व्यवस्था करने की कहकर इतिश्री कर ली। परिवादी ने 18 अप्रेल को चार दिन में साढ़े सात लाख रुपए व्यवस्था कर देने की बात कही और 19 अप्रेल को कलक्टर को किसी उच्चाधिकारी ने फोन कर एसीबी की कार्रवाई की सूचना दी।
अनुसंधान के जरिए देंगे जवाब
एसीबी एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि डमी नोट पहले काम में लिए थे और आगे भी काम में लेंगे। इस केस में डमी नोट के संबंध में अभी कोई टिप्पणी नहीं करनी है। केस पुख्ता है और जांच में पुख्ता सबूत एकत्र कर कार्रवाई करेंगे। फोन किसने किया। आपके सारे प्रश्न सही हैं, लेकिन उनका जवाब अनुसंधान के जरिए देंगे।