सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। शहर के मुख्य बाजारों के साथ अंदरूनी इलाकों में बने डिपो पर कचरा फैला हुआ नजर आ रहा है। शहर में सड़कों पर झाड़ू भी नहीं लगी है। कॉलोनियों में भी कचरे के ढेर नजर आ रहे है। वहीं कई वार्डो में कचरा संग्रहण के लिए हूपर भी नहीं पहुंचे। इससे सफाई व्यवस्था गड़बड़ा गई है।
संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया का कहना है कि स्वायत शासन विभाग ने 13 हजार 184 सफाई कर्मचारियों की विज्ञप्ति जारी की थी, जिसके बाद 25 से 28 अप्रेल तक सफाई कर्मचारी हड़ताल पर रहे। 28 अप्रेल को शासन सचिव एवं डीएलबी डायरेक्टर और संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ के पदाधिकारियों के बीच समझौता हुआ। समझौते में स्टाफिंग पैटर्न के आधार पर 30 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती करने और वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की बात की गई। 2018 से पहले जिन कर्मचारियों ने बीट्स में सफाई का काम किया, उन्हें भी प्राथमिकता देने की बात हुई, लेकिन अभी तक संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि जब तक संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं की जाती है, तब तक सफाई कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे।
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एक दिन पहले लिया निर्णय
संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के नेतृत्व में एक दिन पहले सोमवार को नगर निगम हैरिटेज में सफाईकर्मियों की बैठक हुई, जिसमें सफाई कर्मचारियों की भर्ती विज्ञप्ति जारी नहीं करने और मांगें नहीं मानने तक कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया गया। इससे प्रदेशभर में 30 हजार से अधिक सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की बात कही जा रही है।