दरअसल, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि प्रदेश में
भाजपा की निष्क्रय पर्ची सरकार असंवेदनशीलता, अराजकता एवं अकर्मण्यता का पर्याय बन चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली से आई पर्ची इतनी कच्ची है कि जनहित के निर्णयों एवं संवेदनशील मसलों पर हर बार ‘अक्षम’ मुखिया की मजबूरी और लाचारी साफ झलकती है।
उन्होंने
समरावता की घटना पर कहा कि, सरकार की नाकामी किसी से छिपी नहीं है। बर्बरता के बाद गांववासी किस कष्ट से गुजर रहे हैं, इसकी ना तो सरकार को परवाह है और ना ही इस पर संवेदना का एक शब्द मुख्यमंत्री के मुंह से निकला है। घटना की निष्पक्ष जांच एवं पीड़ितों को न्याय दिलाने और मुआवजा देने में सरकार अब तक नाकाम साबित हुई है।
वहीं, एसआई भर्ती पर डोटासरा ने कहा कि इस भर्ती में युवाओं के भविष्य का सवाल था लेकिन सरकार पशोपेश में फंसी रही और कोई निर्णय नहीं कर पाई, जिसके बाद न्यायालय को निर्देश देना पड़ा। इसके साथ ही नए जिलों को लेकर कहा कि सरकार अब तक अंतिम निर्णय नहीं कर पाई। 11 महीने बित चुके हैं, सरकार अभी भी दुविधा में है। जिसके कारण नए जिलों में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए ना तो पदोन्नति हो पा रही है और ना ही जनता में कोई स्थिति स्पष्ट हो पा रही है।
अंत में गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा के विधायक और मंत्री अपनी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री जी मौन साधे हुए हैं। मुख्यमंत्री जी.. क्या जवाब के लिए दिल्ली से पर्ची का इंतजार कर रहे हैं? या पर्ची और यूटर्न के बाद चुप्पी सरकार बन चुकी है?