जारी अधिसूचना के अनुसार, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने इस अध्यादेश को मंजूरी प्रदान कर दी है। अध्यादेश के माध्यम से राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 की धारा 5 की उप धारा 1 को संशोधित कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 वर्ष के स्थान पर 5 वर्ष किया गया है।
यह अध्यादेश तुरन्त प्रभाव से लागू होगा। राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (2019 का अध्यादेश संख्यांक 2) के प्रारम्भ पर पद धारण कर रहे लोकायुक्त द्वारा, ऎसे प्रारम्भ से वह पद छोड़ा हुआ समझा जाएगा।
क्या है लोकायुक्त लोकायुक्त भारत के राज्यों द्वारा गठित भ्रष्टाचाररोधी संस्था है। इसका गठन स्कैंडिनेवियन देशों में प्रचित ‘अंबुड्समैन’ (Ombudsman) की तर्ज पर किया गया था। अब तक लोकायुक्त का कार्यकाल 8 वर्ष का था। वहीं अब सरकार के लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (2019 का अध्यादेश संख्यांक 2) को मंजूरी मिलने के बाद अब लोकायुक्त का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा।
आपको बता दें कि लोकायुक्त के अध्यक्ष पद की नियुक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री और सदस्यों की नियुक्ति विधानसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या राज्यपाल की ओर से नामित कोई विशेष व्यक्ति कर सकता है।
लोकायुक्त प्रदेश में चल रही किसी भी भ्रष्टाचारी गतिविधियों में किसी भी मामले की जांच कर सकता है या करवा सकता है। चाहे इस मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा का कोई सदस्य या राज्य सरकार के अधिकारी ही क्यों न शामिल हों।