इस प्रोजेक्ट को लेकर राजस्थान और हरियाणा दोनों राज्यों के बीच अगले माह बैठक संभावित है, ताकि दिल्ली में हुए एमओयू के आधार पर आगे बढ़ा जा सके। मंत्रालय की सक्रियता का एक कारण यह भी है कि यमुना के पानी के लिए संयुक्त डीपीआर बननी है, जिसके लिए राजस्थान टास्क फोर्स गठित कर चुका है, लेकिन हरियाणा अटकाए बैठा है।
जबकि, वहां नई सरकार का गठन हुए भी काफी समय बीत चुका है। सूत्रों के मुताबिक केन्द्र सरकार पीकेसी-ईआरसीपी की तरह ही यमुना जल प्रोजेक्ट को लेकर भी विवाद पूरी तरह सुलझाना चाह रही है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है।
एमओयू के बाद नहीं बढ़े आगे
इस वर्ष 17 फरवरी को तीस साल पुराना जल समझौता विवाद सुलझने का दावा किया गया था। इस दिन नई दिल्ली में राजस्थान और हरियाणा के मुयमंत्री व केन्द्र सरकार के बीच विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए एमओयू हुआ। राजस्थान सरकार तो 14 मार्च को ही अफसरों की टास्क फोर्स गठन कर चुका है। 263 किमी में बिछेगी पाइप लाइन
-चूरू, सीकर और झुंझुनूं जिलों को पानी मिलेगा। -प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। हालांकि, डीपीआर बनने के बाद स्थिति साफ होगी। करीब 263 किमी में बिछनी है पाइप लाइन।
-हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज (ताजेवाले हैड) से 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। -ताजेवाला हैड से चूरू के हासियावास गांव तक सीधे पानी की लाइन बिछाने पर इस रूट की लबाई 263 किमी होगी। इसके लिए 342 हेक्टेयर जमीन अवाप्त करनी होगी और 631 हेक्टेयर जमीन में से आंशिक अवाप्ति की जाएगी।