दरअसल, राजस्थान सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बांटी जा चुकी चार किताबों को वापस मंगवाने के आदेश जारी किए हैं। इसको लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मीडिया में बयान भी दिया है।
जानकारी के मुताबिक राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वो कक्षा 9वीं से 12वीं तक पढ़ाई जा रही ‘चिट्टी एक कुत्ता और उसका जंगल फॉर्म’ और कक्षा 11वीं, 12वीं में पढ़ाई जा रही ‘अदृश्य लोग – उम्मीद और साहस की कहानी’ और ‘जीवन की बहार’ की सभी कॉपियों को वापस मंगवाने के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने इन किताबों को वापस मंगवाने के पीछे तकनीकी कारणों का हवाला दिया और कहा गया है कि कागज और छपाई की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए ‘जीएसएम जांच’ की जाएगी।
एक किताब पूर्व IAS हर्ष मन्दर ने लिखी
बताते चलें कि सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मन्दर द्वारा लिखी गई ‘अदृश्य लोग- उम्मीद और साहस की कहानी’ में ‘9 लंबे साल’ नामक अध्याय में गोधराकांड में ट्रेन में लगी आग को आतंकी साजिश बताया गया है। इस अध्याय में यह भी उल्लेख कि कारसेवकों पर हमले के बाद, ‘अंडरकवर’ पुलिस अधिकारियों ने एक झुग्गी बस्ती में छापा मारा और 14 युवकों को उनके परिवारों को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना गिरफ्तार कर लिया। इस अध्याय में बताया गया कि ट्रेन के डिब्बों में आग लगने की दुखद घटना के बाद शाम को गुजरात के कई जिलों में मुस्लिम पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ प्रतिशोधी हिंसा भड़क उठी थी।
डोटासरा ने बांटने का किया था विरोध
वहीं, इस पुस्तक को वितरित करने के फैसले का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी विरोध किया था। उन्होंने 27 अक्टूबर को अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा था कि, “राजस्थान में शिक्षा के नाम पर ‘नफ़रत फैलाने, ज़हर घोलने’ और ‘अमर्यादित भाषा’ पढ़ाने का जिम्मेदार कौन है? शिक्षा मंत्री द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाकर जनता की गाढ़ी कमाई के 30 करोड़ रुपए से नियमों के विरुद्ध किताबें खरीदकर बच्चों में नफ़रत फैलाई जा रही है और नैतिक शिक्षा की बजाय अनैतिकता की हदें पार की जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी से अपेक्षा है कि बच्चों में बांटी जा रही इस सामग्री की जांच करवाएं और दोषियों पर कार्रवाई करें।”
किताब में हत्यारों का महिमा-मंडन: दिलावर
इधर, शिक्षा मंत्री दिलावर ने डोटासरा पर ही इस किताब का चयन करने का आरोप लगाया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि, “पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के वक्त स्कूली बच्चों को किताबों में हत्यारों का महिमा-मंडन पढ़ाया गया। ऐसे में इस तरह की विवादित किताबों को फिर से मंगाया जाएगा, ताकि बच्चे गलत शिक्षा हासिल ना करें।”
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि, “जब इन किताबों को पढ़ा गया तो पता चला कि गोधरा में जो हुआ था, उसकी नेगेटिव जानकारी दी गई है। किताबों में अपराधी को अच्छा बताया गया है, ऐसे में किताबों में गोधरा कांड के हत्यारों के महिमा मंडन का प्रयास किया गया है, जो सही नहीं है। ऐसे में विवादित किताब को वापस मंगा लिया गया है। ऐसे में अब बच्चे विवादित मुद्दों को नहीं पढ़ेंगे।”
क्या है 2002 का गोधरा कांड?
गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन से रवाना हुई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी। इस भीषण अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी। अहमदाबाद को जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर ट्रेन रोक ली और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया। ट्रेन में सवार लोग हिंदू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई और जान-माल का भारी नुकसान हुआ था।