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जयपुर

अब मंत्री पिता विश्वेन्द्र के महकमें पर उठाए बेटे अनिरुद्ध ने सवाल, सवालों की लगाई झड़ी, याद दिलाया वादा

– जारी है मंत्री और मंत्री पुत्र की अदावत – मंत्री विश्वेन्द्र पर हमलावर हैं पुत्र अनिरुद्ध – सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मंत्री पिता का ‘घेराव’ – भरतपुर में हुए समारोह को लेकर साधा निशाना – ..इधर पुत्र की बेलगाम बयानबाज़ी पर मंत्री की ‘चुप्पी’
 

जयपुरDec 26, 2022 / 11:52 am

Nakul Devarshi

Gehlot Minister Vishvendra Singh son Aniruddh Bharatpur Controversy

जयपुर।

गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और पुत्र अनिरुद्ध की अदावत खुलकर सामने आई हुई है। अनिरुद्ध जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए अपने मंत्री पिता पर लगातार हमलावर हैं, तो वहीं मंत्री विश्वेन्द्र ने चुप्पी साधी हुई है। इसी क्रम को जारी रखते हुए मंत्री पुत्र ने एक बार फिर अपने पिता और सरकार में उनके महकमें को आड़े हाथ लिया है।

 

मंत्री पुत्र अनिरुद्ध ने पर्यटन विभाग की ओर से भरतपुर में आयोजित महाराजा सूरजमल स्मृति समारोह को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस समारोह में भजन सम्राट अनूप जलोटा को आमंत्रित करके उनसे परफॉर्मेंस दिलाए जाने पर आपत्ति दर्ज करवाई है।

 

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मंत्री पिता से सवालों की झड़ी
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर ट्वीट करते हुए मंत्री पुत्र ने पिता विश्वेन्द्र को पूर्व में किया वादा याद दिलाया। उन्होंने सवालों की झाड़ियां लगाते हुए पूछा, ‘3 साल पहले विभाग के उस वादे का क्या हुआ जिसमें राजस्थान के कलाकारों को ही पर्यटन विभाग के कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने की बात कही गई थी? क्या पर्यटन विभाग द्वारा अपेक्षित मानक पर कोई राजस्थानी कलाकार खरा नहीं उतरता? क्या विभाग को नहीं लगता कि लोकल के लिए वोकल होना चाहिए? क्या विभाग को राजस्थानी संस्कृति को बढ़ावा देने की कोई परवाह नहीं है?

https://twitter.com/hashtag/Bharatpur?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw

‘सर्व समावेशी थे महाराजा सूरजमल’
मंत्री पुत्र ने आगे लिखा, ‘मुझे अपने महान पूर्वज महाराजा सूरजमल जी के बारे में इतिहास के जानकार राजवीर चलकोई और मानवेन्द्र सिंह चुवा के साथ एक व्यावहारिक चर्चा पर जुड़ने का सौभाग्य मिला। इस चर्चा के कुछ मुख्य बिंदुओं पर ख़ास बातचीत हुई।

https://twitter.com/RajveerChalkoi?ref_src=twsrc%5Etfw

चर्चा में सामने आये सुझावों को साझा करते हुए अनिरुद्ध ने बताया कि महाराजा सूरजमल जी पर एक अध्याय एनसीईआरटी की इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में शामिल होना चाहिए। इसके अलावा फिल्म सेंसर बोर्ड में इतिहासकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत ना किया जा सके। इससे समुदाय में भावनात्मक चोट लगती है और अनजाने में दर्शकों को गुमराह किया जाता है।

 

इसी तरह से अनिरुद्ध ने आगे कहा कि महाराजा सूरजमल सर्व समावेशी थे। उन्होंने सभी धर्मों और जातियों को समान अधिकार दिए। समाज में सभी की मदद के बिना इतनी बड़ी विजय हासिल नहीं की जा सकती थी। महाराजा सूरजमल जी जैसे संत व्यक्ति पर राजनीति करना सही नहीं है। उन्हें साल में सिर्फ एक बार नहीं बल्कि पूरे साल मनाया जाना चाहिए और उनकी पूजा की जानी चाहिए। राजनीतिक पोस्टरों पर उनकी फोटो लगाना भी नैतिक रूप से गलत है।

 

आगे लिखा, ‘हम सभी आज बात करते हैं और हिंदू राष्ट्र के विचार का समर्थन करते हैं। इस महान विचार को सैकड़ों वर्ष पूर्व महाराजा सूरज मल जी ने समाज के सामने प्रस्तुत किया था।’

 

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… इधर विश्वेन्द्र सिंह की ‘चुप्पी’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपने ही पुत्र के सार्वजनिक रूप से बयानबाज़ी और टिप्पणियों के बाद भी मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने ‘चुप्पी’ साधी हुई है।

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