सेहत बनाने के लिए फल बेहद जरूरी हैं। चिकित्सक भी सलाह देते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए ताजे फल खाने चाहिएं, लेकिन बाजार में बिक रहे फलों के स्वादिष्ट व ताजा होने की कोई गारंटी नहीं है।
आज कल फलों को पकाने के लिए घातक रसायनों का उपयोग किया जाता है। इन फलों का लम्बे समय तक सेवन करने से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है।
अमोनियम कार्बोनेट से पकाते हैं
थोक फल-सब्जी मंडी परिसर में करीब आधा दर्जन दुकानों पर रसायन से फल पकाए जा रहे हैं। प्राप्त सूत्रों के अनुसार आम, पपीता, चीकू व अन्य फल पकाने के लिए अमोनियम कार्बोनेट को कागज की पुडिय़ा में बंद कर फलों के ढेर के बीच रखा जाता है।
इसी प्रकार ईथोपेन 39 एसएल रसायन के घोल में केलों को भिगोकर पत्तों व बोरियों से ढका जाता है। फलों को ठंडा रखने के लिए ढेर के ऊपर बर्फ की सिल्लियां जमा दी जाती हैं, जिससे फलों के सडऩे की आशंका नहीं रहती।
कृत्रिम तरीके से पके हुए फलों के सेवन से घातक रसायन शरीर में जाने से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बना रहता है।
खराब मावे व सेक्रीन की आइसक्रीम
आइसक्रीम बनाने वाले पानी में एलजीमेट, कस्टर्ड व जीएमएस पाउडर मिलाते हैं। ओरेन्ज आइसक्रीम बनाने के लिए पानी में पीला रंग, ओरेन्ज सेंट, टाटरी व सेक्रीन का उपयोग करते हैं। मटका कुल्फी बनाने वाले खराब मावे को सस्ते दामों पर खरीद कर उसकी रबड़ी बनाते हैं।
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