जिले में योजना के तहत 1 लाख 55 हजार क्विंटल गेहूं का आवंटन हुआ। लेकिन गेहूं उठाव की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर तक 81 हजार 790 क्विंटल गेहूं का उठाव हो सका और 73 हजार क्विंटल गेहूं लेप्स हो गया। ऐसे में अब नवंबर माह में जिले के 14 लाख लाभार्थियों को गेहूं के लिए परेशान होना पड़ेगा।
शहर में ही 1 लाख 24 हजार क्विंटल गेहूं लेप्स
ऐसा नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लाभार्थियों के हक का गेहूं ही लेप्स हुआ है। उठाव नहीं होने के कारण जयपुर शहर में भी यही स्थिति बनी है। शहर के लिए 2 लाख 71 हजार क्विंटल गेहूं आवंटित किया गया। जिसमें से महज 1 लाख 46 हजार क्विंटल गेहूं का उठाव हुआ। नवंबर महीने का 1 लाख 24 हजार क्विंटल गेहूं लेप्स हो गया। जिस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में नंवबर माह में लाभार्थियों को गेहूं मिलने में दिक्कत आएगी वैसी ही दिक्कतों का सामना शहर के लाभार्थियों को करना पडेगा।
डीएसओ को उठाव का जिम्मा, लेकिन फेल साबित हुए
सरकार ने गेहूं के उठाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिला नागरिक आपूर्ति प्रबंधकों से यह जिम्मा लेकर जिला रसद अधिकारियों को सौंप दिया। लेकिन अब रसद अधिकारी गेहूं के शत-प्रतिशत उठाव में विफल होते दिखाई दे रहे हैं। इस स्थिति का नुकसान लाभार्थियों के साथ-साथ सरकार को भी उठाना पड़ रहा है, क्योंकि गेहूं का शत-प्रतिशत उठाव नहीं होने से केन्द्र सरकार के सामने प्रदेश सरकार की छवि धूमिल होती है। सरकार को छूट के लिए करना पड़ रहा है आग्रह
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत हर महीने आगामी महीने के गेहूं का उठाव करना होता है। यदि समय पर उठाव नहीं होता, तो गेहूं को लैप्स होने से बचाने के लिए सरकार एक सप्ताह की छूट लेने के लिए केन्द्र से आग्रह करती है। लगातार ऐसी स्थिति बनना सरकार की किरकिरी का कारण बन रहा है। सितंबर में 6 हजार क्विंटल गेहूं लेप्स भी हुआ और 150 क्विंटल गेहूं राशन डीलर्स तक पहुंचा ही नहीं।