खाचरियावास ने मामले को बाकायदा नोटशीट पर लेकर विधानसभा की मंजूरी बिना योजना खाद्य विभाग से सहकारिता विभाग को ट्रांसफर किए जाने पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। नोटशीट पर मंत्री की ओर से कहा गया है कि विधानसभा में योजना खाद्य विभाग को आवंटित की गई, जिसके लिए विभाग को 1000 करोड़ रुपए का बजट भी दे दिया गया। उन्होंने विधानसभा के नियमों का हवाला देकर कहा है कि विधानसभा को विश्वास में लिए बिना अन्नपूर्णा फूड पैकेट खरीद व वितरण का कार्य सहकारिता विभाग को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। यदि कार्य दूसरे विभाग से करवाना है तो विधानसभा से प्रस्ताव पास कराना आवश्यक है।
मामला विधि विभाग को भेजने की सलाह
खाचरियावास ने विधानसभा की मंजूरी बिना योजना का कार्य कॉनफैड को सौंपे जाने को नियम विरूद्ध बताया है, वहीं इस मामले को विधि विभाग के पास भेजने की सलाह दी है।
खाद्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया है कि दूसरे विभाग के अधिकारियों ने पॉश मशीनों के संबंध में आदेश कैसे जारी कर दिए। ऐसे आदेश जारी करना नियमों के विपरीत है।
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अधिकारियों से पूछा
विभाग ने किस की स्वीकृति से अन्य विभाग से पत्राचार किया और उसको सूचनाएं उपलब्ध करवाई।किस की स्वीकृति से आरआइएसएल व कॉनफैड को महत्वपूर्ण सूचनाएं दी गईं।
अधिकारियों को हिदायत
खाद्य मंत्री ने अपने विभाग के अधिकारियों को हिदायत दी है कि भविष्य में उनकी स्वीकृति बिना अन्य विभाग को सूचनाएं नहीं दी जाएं।
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‘अन्नपूर्णा किट का मामला विधानसभा ने खाद्य विभाग को दिया था। वित्त विभाग ने इसे सहकारिता को सौंप दिया। कॉनफैड में झगड़े हो रहे हैं और आज तक टेंडर नहीं हो पाए। वित्त विभाग किसे उपकृत करना चाहता है, उसकी तलाश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से ऐसा करने वाले अधिकारियों की जांच कराने का आग्रह किया है।’
प्रताप सिंह खाचरियावास, खाद्य मंत्री