परिवादी कलक्टर से मिला तो उससे कार्रवाई से बचने के बदले 25 लाख रुपए मांगे। इसके बाद वह एसीबी पहुंचा। एसीबी ने ट्रेप की तैयारी कर ली। इस बीच कलक्टर को परिवादी ने कॉल किया तो उसने 15 अप्रेल की शाम को अपने आवास पर ही बुला लिया। वहां प्रकरण में अब्दुल रहमान मामले का नोट नहीं डालने और कार्रवाई से बचने के बदले रिश्वत मांगी। परिवादी ने फॉर्म हाउस मालिक से बात करने की बात कही तो अगले दिन फिर बुलाया।
कलक्टर से दुबारा मिला तो मामला 15 लाख रुपए में तय हो गया। इसके बाद 18 अप्रेल को परिवादी कलक्टर कार्यालय गया। वहां पटवारी हंसराज को बोला कि साहब को कह दो अभी मात्र 7.5 लाख रुपए 22 अप्रेल तक दे पाउंगा। पटवारी कलक्टर चैम्बर में गया और वापस आकर बोला ठीक है।
तय समय से पहले 19 अप्रेल की रात पटवारी हंसराज चौधरी और सांवरमल जाट परिवादी के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि कलक्टर साहब बोले हैं गलती हो गई। हंसराज ने परिवादी के पांव पकड़े और बोला कलक्टर की ओर से मैं पांव पकड़ता हूं। इस टंटे को खत्म करो। कलक्टर हमको बार-बार फोन कर रहा है। इस बीच रात करीब 11 बजे कलक्टर हनुमान मल ढाका निजी कार से परिवादी के घर पहुंचे। परिवादी ने पटवारी कहा कि उन्हें (कलक्टर) कहो घर में नहीं आए। इसके बाद कलक्टर लौट गए। बातचीत कर दोनों पटवारी भी वहां से चलते बने। इसके बाद स्पष्ट हो गया कि अब ट्रेप सम्भव नहीं है। तब एसीबी ने रिश्वत मांगने की एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया।
एसीबी ने दूसरे दिन शनिवार को दूदू कलक्टर हनुमानमल ढाका के कार्यालय में सर्च किया। वहां से कलक्टर का सरकारी कम्प्यूटर जब्त किया। एसीबी टीम इससे पहले दूदू में कलक्टर के सरकारी आवास व तलसील कार्यालय में शुक्रवार रात को सर्च करने पहुंची थी। आवास पर कलक्टर हनुमान मल का एक मोबाइल व कार्रवाई के दौरान पटवारी हंसराज के दो मोबाइल जब्त किए। बताया जाता है कि एसीबी के परिवादी से मोबाइल पर वाट्सएप चैट की गई है। इसके चलते सबूत के तौर पर दोनों के मोबाइल जब्त किए। एसीबी की टीम दूदू में कलक्टर आवास पर सर्च के बाद शनिवार तडक़े 3 बजे तक दूदू तहसील कार्यालय में सर्च करने में जुटी रही। शनिवार सुबह पांच बजे जयपुर लौटी और फिर शनिवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे दूदू कलक्टर कार्यालय पहुंच गई थी। बताते हैं एसीबी की कार्रवाई के बाद कलक्टर दूदू से चले गए थे। एसीबी सूत्रों के मुताबिक जिला कलक्टर को रिश्वत लेते रंगे हाथ नहीं पकड़ा जा सका। इसके चलते कानूनन उनके अन्य ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई नहीं की जा सकी।