पहले माने फिर मुकरे जैसे कुछ पता ही नहीं और संस्था प्रधान प्रभाकर इंदौरिया ने पीटीआई पर डाली जिम्मेदारी
स्कूल में एडमिशन फॉर्म मिल रहे हैं, उसकी कीमत क्या है? शायद पांच रुपए है?
हां, हम फॉर्म के पांच रुपए ले लेते हैं। फॉर्म बाहर से छपवाते हैं तो प्रिंटिंग का खर्चा आता है इसलिए।
: शिक्षा विभाग ने एडमिशन फॉर्म निशुल्क देने के निर्देश दिए हैं ? फिर आप पांच रूपए कैसे ले रहे हैं ?
मैंने किसी को फॉर्म का शुल्क लेने के आदेश नहीं दिए। मुझे लगता है कि शायद यह सब पहले से ही चल रहा होगा। मैं खुद को देता नहीं हंू किसी को फॉर्म, एक पीटीआई को लगा रखा है वो क्या कर रहा हैं मुझे नहीं पता। मेरे पास तो कोई जानकारी ही नहीं है ऐसी। मैं कल पता करता हूं कि ऐसा कैसे हो रहा है। अगर शुल्क ले रहे हैं तो हो सकता है कि प्रिंटिंग के ही ले रहे होंगे।
: डायरी और आईडी कार्ड के 25 रुपए भी लिए जा रहे हैं कोई रसीद नहीं दी जा रही?
अरे छोटा मोटा मामला है,कहा आप इसे खींच रही हो। मैं पता करता हूं। जब बच्चे का एडमिशन हो जाएगा तब हम उसे डायरी और आईडी कार्ड देंगे।
वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर एडमिशन फॉर्म देने का काम कर रहे पीटीआई केएल धाकड़ ने कहा मुझे फॉर्म वितरित करने का काम संस्था प्रधान ने लिखित में दिया था। उन्होंने ही कहा था कि फॉर्म के बदले पांच रुपए लिया करो, डायरी और आईडी कार्ड के 25 रुपए। मैंने तो शुरू में ही विरोध किया था यह सही नहीं लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी। मैं सारा पैसा उनको ही देता हूं।
क्या उन्होंने आपको लिखित में दिया था कि फॉर्म के बदले पांच रुपए शुल्क लिया करें ?
मुझे याद नहीं आ रहा, एक बार आदेश की कॉपी देखनी पड़ेगी कि उसमें क्या लिखा था। शायद वरबली ही बोला था पांच रुपए लेने के लिए। कल बताऊंगा आपको मैें एक बार आदेश देखकर।