scriptदेश में हर 36 वां बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित, समय पर पहचान होने पर इलाज संभव, वर्कशॉप में देशभर के एक्सपर्ट्स ने लिया भाग | Every 36th child in the country suffers from autism, treatment is possible if identified on time, experts from all over the country participated in the workshop | Patrika News
जयपुर

देश में हर 36 वां बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित, समय पर पहचान होने पर इलाज संभव, वर्कशॉप में देशभर के एक्सपर्ट्स ने लिया भाग

हर 36वां बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है। बच्चा अगर 2 साल की उम्र तक भी न बोले, उसके भाव चेहरे देखकर न बदलकर चीजें देखने में बदले तो उसकी जल्दी से जल्दी न्यूरो डेवलपमेंट थैरेपी शुरू करने की आवश्यकता है।

जयपुरNov 29, 2024 / 08:29 pm

Manish Chaturvedi

जयपुर। न्यूरो डेवलपमेंट से जुड़ी बीमारी ऑटिज्म देश में तेजी से बढ़ रहा है। हर 36वां बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है। बच्चा अगर 2 साल की उम्र तक भी न बोले, उसके भाव चेहरे देखकर न बदलकर चीजें देखने में बदले तो उसकी जल्दी से जल्दी न्यूरो डेवलपमेंट थैरेपी शुरू करने की आवश्यकता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स और आइकन फाउंडेशन की ओर से आयोजित वर्कशॉप में देशभर से आए पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट ने यह जानकारी दी।
वर्कशॉप के कॉर्डिनेटर और सीनियर पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वर्णित शंकर ने बताया कि इस प्री कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप में एम्स दिल्ली, जोधपुर, गुवाहाटी, गंगाराम हॉस्पिटल और जेके लोन हॉस्पिटल के वरिष्ठ विशेषज्ञों के भाग लिया। डॉ. प्रियांशु माथुर ने ऑटिज्म ग्रसित बच्चों की डाइट में बदलाव, नई दवाओं और जीन थैरेपी के बारे में बताया। डॉ. मनमीत ने मरीज को घर में दी जाने वाली नई थैरेपी के बारे में, डॉ. प्रवीण सुमन ने नए टेस्ट के बारे में जानकारी दी।
एम्स गुवाहाटी के डॉ. जयशंकर कौशिक और जोधपुर एम्स के डॉ. लोकेश सैनी ने बताया कि स्पीच डिले यानी देर से बोलना ऑटिज्म का प्रमुख लक्षण है। देरी से बोलने वाले 50 प्रतिशत बच्चों में ऑटिज्म देखने को मिल रहा है। देश में हर 36वें बच्चे को ऑटिज्म है। इसकी पहचान करने का एक और असरदार तरीका यह है कि सात से आठ महीने के बच्चे की प्रतिक्रिया पर ध्यान दें। अगर चेहरे न देखकर चीजें देखने में उनकी प्रतिक्रिया बदल रही है तो उनकी जांच जरूर करवानी चाहिए।
गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. प्रवीण सुमन और अमृतसर मेडिकल कॉलेज से आई डॉ. मनमीत कौर सोढ़ी ने बताया कि अगर किसी युगल के पहले बच्चे में ऑटिज्म की पहचान हो चुकी है तो उनके दूसरे बच्चे में भी इसकी समस्या होने की संभावना 10 से 15 प्रतिशत तक होती है। कुछ जेनेटिक टेस्ट जैसे क्रोमोसोम माइक्रो एरे से इसका डायग्नोज किया जा सकता है। अगर इनकी समय पर थैरेपी शुरू की जाए तो इसकी बहुत अच्छे से मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए मरीज की न्यूरो डेवलपमेंट थैरेपी की जाती है।

Hindi News / Jaipur / देश में हर 36 वां बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित, समय पर पहचान होने पर इलाज संभव, वर्कशॉप में देशभर के एक्सपर्ट्स ने लिया भाग

ट्रेंडिंग वीडियो