अधिकांश यूरोपीय संघ के देशों में 9 जून को चुनाव होते हैं, लेकिन नीदरलैंड में 6 जून को, आयरलैंड और चेक गणराज्य में 7 जून को और माल्टा, स्लोवाकिया और लातविया में 8 जून को मतदान होना तय किया गया है।
यूरोपीय संघ को चलाने वाली तीन संस्थाओं में से एक है यूरोपीय संसद, जो 27 देशों के इस ब्लॉक को चलाती है। यूरोपीय संघ की सरकारों के साथ मिलकर यह यूरोपीय कमीशन द्वारा प्रस्तावित कानूनों पर निर्णय लेती है। इसकी बनाई नीतियां लगभग 45 करोड़ लोगों के यूरोपीय संघ के बाजार को नियंत्रित करती हैं। जाहिर तौर पर इसके पास यूरोपीय कमीशन या सदस्य देशों की राष्ट्रीय सरकारों जितनी शक्ति नहीं है। लेकिन यह कानून को अस्वीकार कर सकता है या उसमें पर्याप्त संशोधन कर सकता है और प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित एकमात्र यूरोपीय संघ संस्था होने के कारण इसकी घोषणाओं का राजनीतिक प्रभाव होता है।
सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मौजूदा संसद में मुख्य समूह जैसे केंद्रवादी-दक्षिणपंथी, केंद्रवादी-वामपंथी, ग्रीन्स और उदारवादियों को वर्तमान की तुलना में कम बहुमत मिलेगा, जबकि अति दक्षिणपंथी समूहों को बढ़त मिलेगी। सर्वेक्षणों के अनुसार, 720 सदस्यों वाले सदन में मध्यमार्गी समूह की सीटें घटेंगी जबकि लोकलुभावन दक्षिणपंथी आइडेंटिटी एंड डेमोक्रेसी (आईडी) समूह तथा यूरोपीय कंजर्वेटिव और रिफॉर्मिस्ट (ईसीआर) के सांसदों की संख्या बढ़ सकती है। लेकिन देखना होगा क्या वे 361 की बहुमत हासिल कर सकेंगी।
- यूरोप में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लक्ष्य 2050 तक जीरो करना
- चीन और अमरीका के विरुद्ध यूरोपीय संघ को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने को नीतियों पर असर
- प्रवासी संबंधी नीतियों में सख्ती
- ऊर्जा की कीमतें कम तथा स्थिर रखने के लिए एक यूरोपीय ऊर्जा संघ का निर्माण और वैकल्पिक ऊर्जा आपूर्तिकर्ता की खोज
- यूरोपीय संघ की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ावा देना
- यूरोपीय संघ के विस्तार करते हुए यूक्रेन, मोल्दोवा और पश्चिमी बाल्कन देशों को शामिल करना
- यूरोपीय संघ के भविष्य का स्वरूप