पिछले दिनों जयपुर के एक निजी अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण के लिए पहुंचे मरीज की अंग प्रत्यारोपण एनओसी के लिए उसके केस को सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज की एनओसी कमेटी के पास भेजा गया। केस के निस्तारण के लिए कमेटी ने मीटिंग रखी। जिसमें कमेटी के सीनियर सदस्य भी शामिल हुए। इस मामले में मरीज शारीरिक अस्वस्थता के कारण स्वयं कमेटी के सामने आने में सक्षम नहीं था। ऐसा होने पर संबंधित निजी अस्पताल या उसका इलाज कर रहे निजी अस्पताल के डॉक्टर को उस मरीज की पुष्टि करनी होती है। लेकिन ऐनवक्त पर अस्पताल ने उस मरीज की पुष्टि करने से मना कर दिया। इसके कारण मरीज को उस दिन एनओसी नहीं दी जा सकी। इसके बाद दुबारा कमेटी की मीटिंग बुलानी पड़ी।
गौरतलब है कि निजी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण करवाने वाले मरीजों को एसएमस मेडिकल कॉलेज में गठित ऑर्गन ट्रांसप्लांट एनओसी कमेटी से एनओसी लेनी होती हे। गत वर्ष एसएमएस मेडिकल कॉलेज की एनओसी कमेटी के जरिये फर्जी एनओसी जारी करने के मामले सामने आने के बाद निजी अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों सहित मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य और सवाईमानसिंह अस्पताल के अधीक्षक को भी अपने पद छोड़ने पड़े थे। यह भी सामने आया था कि एनओसी के लिए गठित कमेटी ही नियमानुसार सही नहीं है। इसका खुलासा होने के बाद राज्य सरकार ने पुरानी कमेटी काे भंग कर नई कमेटी का गठन किया था।
कोई मरीज स्वयं नहीं आ पाता है तो संबंधित निजी अस्पताल या इलाज करने वाले डॉक्टर ही पुष्टि करते हैं। लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने पुष्टि करने से ही मना कर दिया। हमें दुबारा मीटिंग बुलानी पड़ी।- डॉ.दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज