क्या है सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग लॉस
मरीज को सुनने में परेशानी होने लगती है। एक समय के बाद या अचानक सुनाई देना बंद हो जाता है। सुनने की क्षमता दो तरीके से जाती है। एक कंडेक्टिव हियरिंग दूसरा सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग। सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग यह वो हिस्सा होता है जो कान के अंदर से लेकर दिमाग तक जाने वाली नस के माध्यम से आवाज ब्रेन तक पहुंचाती है। लगातार तेज आवाज में रहने से ये नसें भी डैमेज हो सकती हैं।हर सप्ताह आ रहे पांच से दस मरीज
मौसम में बदलाव के दौरान अलग-अलग वायरल एक्टिव हो जाते हैं। जो शरीर को नुकसान पहुंचा देते हैं। ओपीडी में हर सप्ताह 5 से 10 मरीजों में ऐसा देखा जा रहा है। वो सीवियर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लोस का शिकार होकर पहुंच रहे हैं। यह एक प्रकार का डिसऑर्डर है। इन दिनों वायरल अटैक की वजह से लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इस कारण उन्हें सुनने में परेशानी हो रही है। इन मरीजों की उम्र 25 से 60 वर्ष तक है।धीरे-धीरे भी बंद हो रहा सुनाई देना
विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी की वजह वायरल इंफेक्शन के अलावा जन्मजात व बढ़ती उम्र भी है। उनके अनुसार यह एक ऐसा डिसऑडर है, जिनमें सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। कान के अंदर पैथोलॉजी और कॉकलियर तंत्रिका जो दिमाग तक ओडियो सिगनल को पहुंचाती है। उसके डेेमेज होने से सुनाई देना बंद हो जाता है। ऐसा कई बार अचानक होता है तो कई बार धीरे धीरे सुनने की क्षमता कम हो जाती है।तीन से पांच दिन मेें इलाज शुरू होना जरूरी
कोविड के बाद ऐसे केस बढ़े हैं। वर्तमान में यह पोस्ट वायरल के बाद चपेट में ले रहे हैं। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचना होता है। उसके तीन से पांच दिन के भीतर ठीक होने के चांस ज्यादा रहते हैं। 50-60 फीसदी तक मरीज को वापस सुनाई देने लगता है। इलाज में स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है। दवा देते हैं और इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ज्यादा दिक्कत होने पर हायपर बैरिक ऑक्सीजन थैरेपी देते हैं। उसमें ऑक्सीजन का दबाव दिया जाता है, जो सुनने की नस, दिमाग की नली, नसों तक पहुंचाया जाता है। जिससे धीरे धीरे सुनने की ग्रोथ होने लगती है। इस बीच उसकी मशीनों से सुनने की जांच भी की जाती है।-डॉ. पवन सिंघल, एचओडी, ईएनटी विभाग