scriptस्ट्रेस ,एंग्जायटी ,टेंशन से लोगों में बढ़ रहा है नाईटमेयर डिसऑर्डर। बार -बार नींद टूटना ,नकारात्मक ख्याल ,बुरे सपनें आना ,शुरुआती लक्षणों में है शामिल | due to stress ,depression , people are facing night mare disorder | Patrika News
जयपुर

स्ट्रेस ,एंग्जायटी ,टेंशन से लोगों में बढ़ रहा है नाईटमेयर डिसऑर्डर। बार -बार नींद टूटना ,नकारात्मक ख्याल ,बुरे सपनें आना ,शुरुआती लक्षणों में है शामिल

अत्यधिक तनाव लेना लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी ,कामकाज की अत्यधिक व्यस्तता ,स्ट्रेस ,ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच विचार करना ) से लोगों में नाईटमेयर डिसऑर्डर की समस्या बढ़ रही है।

जयपुरJun 19, 2023 / 03:21 pm

Shaily Sharma

स्ट्रेस ,एंग्जायटी ,टेंशन से लोगों में बढ़ रहा है नाईटमेयर डिसऑर्डर। बार -बार नींद टूटना ,नकारात्मक ख्याल ,बुरे सपनें आना ,शुरुआती लक्षणों में है शामिल

स्ट्रेस ,एंग्जायटी ,टेंशन से लोगों में बढ़ रहा है नाईटमेयर डिसऑर्डर। बार -बार नींद टूटना ,नकारात्मक ख्याल ,बुरे सपनें आना ,शुरुआती लक्षणों में है शामिल

अत्यधिक तनाव लेना लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी ,कामकाज की अत्यधिक व्यस्तता ,स्ट्रेस ,ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच विचार करना ) से लोगों में नाईटमेयर डिसऑर्डर की समस्या बढ़ रही है। ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड (जीआइएसएस ) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 59 % लोग आधी रात के बाद सोते है।इसमें से अधिकतर लोग अपने काम काज या व्यक्तिगत तनाव के कारण नहीं सो पाते है या कुछ लोग देर रात तक फोन में आंखें गड़ाए रखते है। चिकित्सकों के अनुसार राजधानी में भी 3 से 4 % लोग इस विकार से ग्रसित है और रोजाना ऐसे कई मामलें सामने आ रहे है।

तनाव के कारण नींद बनाने वाले मेलेटोनिन हार्मोन हो जाते है कम , रोजाना 5 से 6 मामलें आ रहे है सामने
व्यक्ति जब किसी भी घटना के बारे में बहुत ज्यादा सोचता है या काम का बहुत तनाव लेता है तो इसका सीधा असर उसके नींद चक्र पर पड़ता है। तनाव के चक्कर में व्यक्ति के शरीर में नींद बनाने वाले मेलेटोनिन हार्मोन कम हो जाते है। नाईटमेयर डिसऑर्डर एक प्रकार का लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है। बहुत अधिक स्ट्रेस लेने के बाद व्यक्ति जब सोता है तो कई बार उसकी नींद खुल जाती है ,उसे गबराहट महसूस होती है। डर लगना ,बुरे सपने आना नींद में बाधा बन जाते है। नींद पूरी ना होने के कारण लोगों को अगले दिन दफ्तर में काम के दौरान थकान महसूस होती है जिस असर उनके प्रदर्शन दर पर पड़ता है। रोजाना 5 से 6 मामलें आ रहे है सामने। इलाज के लिए दवाइयों के साथ मरीजों को कई प्रकार की थेरेपी जैसे बेहेवियर ,इमेज रिहर्सल ,साउंड ,टॉक दी जाती है।
डॉ डीएम माथुर (मनोरोग विशेषज्ञ )

ऐसे केस आ रहे है सामने

केस 1

विद्याधरनगर निवासी 21 वर्षीय किशोर ने बताया कि पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन ना होने पर उसे काफी टेंशन रहती थी। रात को सोते समय दिमाग में हमेशा करियर की फिक्र रहती थी। काफी देर तक नींद नहीं आती थी , हर थोड़ी देर में नींद टूट जाती थी , अजीब – बुरे सपने आते थे। चिकित्सकों से परामर्श पर पता चला कि उन्हें नाईटमेयर डिसऑर्डर है। अभी उनका इलाज चल रहा है। इसके साथ ही वे अपनी जीवन शैली भी सुधार रहे है और तनाव लेना भी कम कर रहे है।
केस 2
सी स्कीम निवासी 45 वर्षीय महिला ने बताया कि उनके पारिवारिक जीवन में काफी कलह चल रही है। घर में पैदा हो रहे तनाव के कारण उनके मानसिक स्वास्थ बुरा असर पड़ रहा है। सोने के समय भी उनके दिमाग में कई टेंशन रहती है जिसका असर नींद चक्र पर पड़ रहा है। रात को अक्सर उन्हें गबराहट ,बेचैनी रहती है। डर के कारण उन्हें बुरे सपने आते है। अभी वे दवाई के साथ थेरेपी भी ले रही है।

एक्सेस बार थेरेपी से लोगों को मिल रही है मदद
नाईटमेयर डिसऑर्डर बीमारी नई नहीं है लेकिन पहले की तुलना में बीते कुछ वर्षों में इस विकार के मरीजों में काफी बढ़ोतरी हुई है। खास तौर पर नौकरी पेशा वर्ग के लोगों में यह विकार ज्यादा देखा जा रहा है। आने वाले मरीजों को इलाज के लिए एक्सेस बार थेरेपी दी जाती है। इस उपचार पदत्ति में सिर के 32 अद्वित्य बिंदुओं को छूकर व्यक्ति के दिमाग को शांत किया जाता है। व्यक्ति के दिमाग में सकारत्मक विचार पैदा होते है। नींद नहीं आने पर उत्पन्न होने वाली बेचैनी और गबराहट भी कम हो जाती है। दिमाग का तनाव भी कम होता है। लगातार थेरेपी लेने से नींद की समस्या भी खत्म हो जाती है।
डॉ अविशा माथुर (एक्सपर्ट हीलर )

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