टोंक फाटक स्थित कुम्हार प्रेमशरण ने बताया कि दीपकों की साइज में बदलाव किया है। मिनी दीप तैयार करने के साथ ही उन पर कई डिजाइन भी बनाई है। डिजाइनर दीपकों में कांच, चीनी के शीशा, झालर व आर्ट की डिजाइनिंग की गई।
कुम्हार अशोक प्रजापत ने बताया कि इस बार हैंगिंग दीपक का क्रेज ज्यादा है। बड़ी चौपड़ पर कुम्हार सीता प्रजापत ने कहा कि गुजरात, दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के समुद्र किनारे की कच्ची मिट्टी से तैयार किए गए मिनी दीप एक से ढाई इंच तक के हैं। एक चम्मच घी-तेल में ये सामान्य दीपक के मुकाबले ज्यादा देर तक जल सकेंगे।
जयपुर के 250 वार्डों में गोमय दीपक का वितरण
हिंगोनिया गोशाला में भी गोबर से दीपक तैयार किए जा रहे हैं। कार्यक्रम समन्वयक रघुपति दास ने बताया कि ग्रेटर हेरिटेज निगम की ओर से
जयपुर के 250 वार्डों में गोमय दीपक का वितरण किया जाएगा। कार्तिक माह में विभिन्न मंदिरों में भी गोबर से बने दीपक का वितरण किया जा रहा है। यह दीपक न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।