सीडीआर एनालिसिस सॉफ्टवेयर खरीदे
जयपुर में गिरफ्त में आए एक गिरोह के लोगों ने फर्जी पुलिस अधिकारी बन सीडीआर एनालिसिस सॉफ्टवेयर खरीदे थे। सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए राजस्थान पुलिस की क्राइम ब्रांच की ई-मेल हैक कर ऑर्डर दिया गया और ऑनलाइन पेमेंट भी हुआ। दूसरा सॉफ्टवेयर अन्य राज्य की पुलिस की मेल आइडी को हैक कर खरीदा गया है। जिसकी अभी एफएसएल जांच चल रही है।पांच हजार से पांच लाख तक की खाते में एंट्री
किसी व्यक्ति की सीडीआर निकालने की रेट उसके रसूख के साथ तय होती है। सीडीआर निकलवाने वाले साइबर शातिरों के गिरोह को डिटेक्टिव एजेंसियां पांच हजार से ढाई लाख रुपए तक का भुगतान करती हैं। वहीं, डिटेक्टिव एजेसिंया पांच से छह लाख रुपए तक में एक माह की सीडीआर को बेचती हैं। खातों की जांच में इस तरह की एंट्रियां मिली हैं।लैपटॉप-मोबाइलों से निकल रहे राज
पुलिस ने आरोपी सौरभ साहू से 5 सीपीयू, एक लैपटॉप, 2 मोबाइल जब्त किए हैं। इनमें से दो सिस्टम में सीडीआर एनालिसिस सॉफ्टवेयर इंस्टाल पाया गया है। पुलिस को इसमें कुछ मेल तो मिल गए हैं, लेकिन गिरोह ने कितने लोगों की सीडीआर निकलवाई, बैंक व जीएसटी डिटेल निकाली। इसकी जानकारी एफएसएल जांच के बाद ही होगी। एफएसएल रिपोर्ट पुलिस को अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।सिंगापुर का आइपी एड्रेस, दरभंगा में खाता
कमिश्नर आइटी डीओआइटी विभाग की आइटी सेल ने आइपी लॉग्स की जांच की तो वीपीएन में हैकर का आइपी एड्रेस सिंगापुर का मिला। हैकर ने राजेश राठी नाम का पुलिस अधिकारी बन एनालिसिस सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए कंपनी के प्रतिनिधि को मेल किया। इसके लिए 30 हजार का भुगतान किया गया। बैंक खाता दरभंगा के संजय कुमार झा का मिला।गृह मंत्रालय ने मांगी जानकारी
राजस्थान पुलिस की क्राइम ब्रांच की मेल को हैक करने के मामले में गृह मंत्रालय गंभीर हो गया है। मंत्रालय ने सीडीआर निकलवाने वाली एजेंसियों के बारे में जानकारी मांगी है। वहीं, पुलिस को मामले में एक आधी-अधूरी एफएसएल रिपोर्ट भी मिल गई है। दूसरी रिपोर्ट आने के बाद जांच आगे बढ़ सकेगी।राजस्थान के एक गांव में 300 मोबाइल तोड़कर जलाए, बच्चों-युवाओं को ठगी नहीं करने की शपथ दिलाई
एफएसएल का इंतजार
पूरी एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि कितने लोगों की सीडीआर व अन्य गोपनीय जानकारियां पुलिस की मेल हैक करके निकाली गई हैं। राजस्थान के अलावा दूसरे किसी राज्य की पुलिस की मेल हैक की गई या नहीं, इसका पता भी जांच रिपोर्ट के बाद ही चल सकेगा।–दिनेश एम.एन, एडीजीपी, क्राइम