अभिभावकों की दूरी का उठाते हैं फायदा
मनोचिकित्सकों के अनुसार अभिभावक बच्चों से दूरी बना लेते हैं तो बच्चे ऐसी जगह जाते हैं जहां पर उनकी बात सुनी जाए। ऐसे में बच्चे जब सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं तो चैटरूम में बच्चों की इसी कमजोरी का फायदा उठाया जाता है। ऐेसे में बच्चों की भावनाओं को समझ कर उन्हें सुनने चाहिए। ताकि बच्चे अपनी बात अभिभावकों को बता सकें।मशहूर होने का लालच
जयपुर के 10वीं कक्षा के बच्चे को सोशल मीडिया स्टार बनाने का झांसा देकर चैटरूम का हिस्सा बनाया गया। बच्चा अभद्र भाषा का प्रयोग करने लग गया। फेमस होने के लालच से घर से चोरी तक करना सीख गया। अभिभावक बच्चे की हरकत से परेशान हुए। काउंसलिंग में बच्चे के चैटरूम्स का हिस्सा बनने की बात सामने आई।स्कूल भी पढ़ाएं जागरूकता का पाठ
किशोर अवस्था में बच्चे सही-गलत में अंतर नहीं कर पाते और सोशल मीडिया की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कम उम्र से ही अगर बच्चों को स्कूल में भी जागरूक किया जाए तो वे सावधानी बरतेंगे।टॉपिक एक्सपर्ट: नजर रखें, फौरन एक्शन लें
साइबर एक्सपर्ट गजेंद्र शर्मा ने बताया इन दिनों इस तरह के केस आ रहे हैं। चैटरूम में ऐसी गतिविधियों के शिकार 10वीं और 11वीं कक्षा के बच्चे अधिक हैं। अभिभावक अलर्ट रहें। बच्चा अगर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है तो उस पर नजर रखें। इस तरह की गतिविधियां मिलें तो फौरन एक्शन लें। ऐसा मामला सामने आए तो तुरंत साइबर एक्सपर्ट की सलाह लें। https//www.cybercrime.gov.in/ पर शिकायत दर्ज करवाएं।क्या होता है ऑनलाइन चैटरूम
सोशल मीडिया पर बातचीत के लिए चैटरूम बनाए गए हैं। इसका चलन बढ़ा पर दुरुपयोग होने लगा है। आपराधिक प्रवृत्ति के लोग इन चैटरूम में शामिल होकर अन्य लोगों को शिकार बना रहे हैं। इनका फोकस खासतौर पर बच्चों पर रहता है।ऐसे बनाते शिकार : झांसा-गंदे वीडियो-अपराध
– चैटरूम में बच्चों को कॅरियर, नौकरी और जल्दी पैसा कमाने का झांसा दिया जा रहा है।– चैटरूम के बहाने बच्चों को गलत गतिविधियों का शिकार बनाया जा रहा है।
– पोर्नोग्राफी, चोरी जैसी गलत गतिविधियों का बच्चों का हिस्सा बनाया जा रहा है। कई चैटरूम्स में किशोरों को अश्लील वीडियो दिखाए जाते हैं।
ऐसे मामले आ रहे सामने
केस – 1 तस्वीरों का गलत तरीके से इस्तेमाल जयपुर के 11वीं कक्षा के बच्चे ने चैटरूम जॉइन किया। ऑनलाइन अलग-अलग देशों के लोगों से बातचीत शुरू की। ग्रुप्स में बच्चों की तस्वीरों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर बाद में ठगों ने बच्चे को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। अभिभावकों ने साइबर एक्सपर्ट की सलाह के बाद बच्चे को बचाया।– चार-पांच मामले हर महीने आ रहे हैं प्रदेश में।