बेटे मनीष बैरवा ने कहा कि कुछ समय पहले बहन की शादी की थी पिता ने, इस दौरान भी करीब छह से सात लाख कर्ज लिया था। उसके बाद यह कर्ज तीन बीघा जमीन पर खेती कर चुकाना था। खेती के बीज जाने के लिए फिर से थोड़ा कर्ज लिया और अब जब फसल काटने का समय आया तो मेहनत पर ओले आ गिरे। फसलें ऐसी गिरी कि फिर से खड़ी नहीं हो सकीं। अब फसलें नष्ट हो चुकी है, किसी काम की नहीं है। अब तो खाने तक के लाले पडते दिख रहे हैं। अब पिता की मौत के बाद रीत रिवाज के लिए और कर्ज लेने की नौबत है।