भारत को कोरोना मुक्त बनाने के लिए प्रदेश में भी अभियान चलाया गया। इसके तहत राजस्थान में वर्ष 2019 में कुल 1 लाख 73 हजार 693 टीबी केस फाइंड किए गए थे। लेकिन कोरोना ने इस अभियान को रोक दिया और लगातार केस फाइडिंग करने के आंकड़ों में गिरावट आती रही। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो वर्ष 2020 में 1 लाख 37 हजार 388 टीबी केस ही फाइंड हो सके और वर्ष 2021 में 1 लाख 49 हजार 899 केस ही टीबी के मिल सकें। 2021 में राजस्थान का स्वास्थ्य विभाग तय किए गए आंकड़े का सिर्फ 66 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल कर पाया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने बताया कि विश्व के 26 प्रतिशत टीबी मरीज भारत में है, जबकि राजस्थान में देश के 7 प्रतिशत मरीज टीबी से संक्रमित हैं। हालांकि कोरोना के कारण टीबी के केस कम नोटिफाई हो सके लेकिन अब फिर से अभियान में गति लाकर लक्ष्य को हासिल करेंगे।
टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है और कुछ महीने की दवा लेने के बाद इस बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है। डिस्ट्रिक्ट नोडल अधिकारी टीबी ,जयपुर प्रथम डॉ.सुधीर शर्मा ने बताया कि साल 2021 में टीबी का पूरा इलाज लेने वाले 90 प्रतिशत मरीज ठीक हुए हैं। बाकी दस प्रतिशम मरीज वहीं होते है जो बीच में इलाज छोड़ देते है या बीमारी को लंबे तक झेलने के कारण या छिपा कर रखने से देरी से इलाज लेने के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन टीबी केस नोटिफाई होने के बाद जिसने भी इलाज लिया उनमें से 90 प्रतिशत टीबी मुक्त हो गए। टीबी मरीज 9 से 11 माह तक दवा लेकर टीबी की बीमारी से निजात पा सकते हैं।